Hindu Marriage Act section 8 हिन्दू विवाह का रजिस्ट्रीकरण (Registration Of Hindu Marriages) –
( 1 ) राज्य सरकार हिन्दू विवाहों का साबित किया जाना सुकर करने के प्रयोजन से ऐसे नियम बना सकेगी जो यह उपबन्धित करे कि ऐसे किसी विवाह के पक्षकार अपने विवाह से सम्बद्ध विशिष्टयों को इस प्रयोजन के लिए रखे गए हिन्दू विवाह रजिस्टर में ऐसी रीति में और ऐसी शर्तों के अध्यधीन , जैसी कि विहित की जाएं , प्रविष्ट करा सकेंगे ।
( 2 ) उपधारा ( 1 ) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी , यदि राज्य सरकार की यह राय हो कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो यह उपबन्ध कर सकेगी कि उपधारा ( 1 ) निर्दिष्ट विशिष्टियों का प्रविष्ट किया जाना उस राज्य में या उसके किसी भाग विशेष में , चाहे सभी दशाओं में , चाहे ऐसी दशाओं में जो विनिर्दिष्ट की जाएं , वैवश्यक होगा और जहां कि कोई ऐसा निर्देश निकाला गया हो , वहां इस निमित्त बनाए गए किसी नियम का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति जुर्माने से , जो कि पच्चीस रुपए तक का हो सकेगा , दंडनीय होगा ।
( 3 ) इस धारा के अधीन बनाए गए सभी नियम बनाए , जाने के पश्चात् यथाशीघ्र राज्य विधानमण्डल के समक्ष रखे जाएंगे ।
( 4 ) हिन्दू विवाह रजिस्टर निरीक्षण के लिए सभी युक्तियुक्त समय पर खुला रहेगा और अपने में अन्तर्विष्ट कथनों के साक्ष्य के तौर पर ग्राह्य होगा तथा उसमें से प्रमाणित उद्धरण , आवेदन करने और रजिस्ट्रार को विहित फीस का संदाय करने पर , उसके द्वारा दिए जाएंगे ।
( 5 ) इस धारा में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी , ऐसी प्रविष्टि करने में हआ लोप किसी हिन्दू विवाह की विधिमान्यता पर प्रभाव न डालेगा ।
section 8 से सबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय
1.( राजेश राजन बनाम चीफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ मेरिज , ए.आई.आर. 2016 , केरल 1 )
वीजा बनाने के लिए विवाह से पूर्व विवाह का रजिस्ट्रीकरण संवैधानिक व्यवस्था , सांविधिक प्रावधान एवं विधितया स्थापित पद्धति का उल्लंघन है । ऐसा रजिस्ट्रीकरण एक पक्षकार की इच्छा पर निरस्त नहीं किया जा सकता ।
पत्नी से बिना किसी कारण के पति को साहचर्य से वंचित कर दिया । पत्नी का यह कहना था कि सास आदि के दुर्व्यवहार के कारण उसे पति का घर छोड़ना पड़ा । लेकिन वह इस तथ्य को साबित नहीं कर पाई । दाम्पत्य अधिकाकारों के प्रत्यास्थापन की डिक्री पारित की गई ।