Section 50 in The Code of Criminal Procedure 1973

50 Cr.P.C. Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:-

जब किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी वारण्ट पर की जाती है, तो उस स्थिति में गिरफ्तारी के आधार या कारण वारण्ट में ही उल्लिखित होने के कारण पृथक् से इसकी सूचना दी जाने की आवश्यकता नहीं होती। परन्तु जहां गिरफ्तारी वारण्ट के बिना हुई हो, तो उस दशा में गिरफ्तार किये व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों (कारणों) से अवगत कराया जाना सांविधानिक आवश्यकता है।

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

50 Cr.P.C. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकार की इत्तिला दिया जाना –

(1) किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना गिरफ्तार करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को उस अपराध की, जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है, पूर्ण विशिष्टियाँ, या ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरन्त संसूचित करेगा ।

(2) जहाँ कोई पुलिस अधिकारी अजमानतीय अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना गिरफ्तार करता है वहाँ वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इत्तिला देगा कि वह जमानत पर छोड़े जाने का हकदार है और वह अपनी ओर से प्रतिभुओं का इन्तजाम करे।

 सम्बंधित  निर्णय

राजकुमारी बनाम पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी नोएडा (2003) 11 एस० सी० सी० 500. के वाद में याचिकाकर्त्री का कहना था कि उसे पुलिस द्वारा रात्रि को डेढ़ बजे गिरफ्तार किया गया था जो धारा 40 के उल्लंघन में था जबकि प्रत्युत्तरदाता पुलिस ने चार अलग-अलग शपथ-पत्र प्रस्तुत करते हुये बताया कि उक्त महिला की गिरफ्तारी प्रात: साढ़े पांच बजे की गयी थी। याचिकाकर्त्री के शपथ-पत्र के अलावा ऐसी कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं थी जिसके आधार पर उसके कथन को सत्य माना जा सके। न्यायालय ने विनिश्चित किया कि अन्वेषण अधिकारी का यह निष्कर्ष कि याचिकाकर्त्री द्वारा संज्ञेय अपराध किया गया था, पुलिस को उसकी किसी भी समय गिरफ्तारी की अनुज्ञा देता है। अतः कार्यवाही को उचित मानते हुये याचिका खारिज कर दी गयी।

Leave a Comment