section 12 Hindu Marriage Act 1955
Hindu Marriage Act Section 12 शून्यकरणीय विवाह (Voidable marriage)-
( 1 ) कोई भी विवाह , वह इस अधिनियम के प्रारम्भ के चाहे पूर्व अनुष्ठापित हुआ हो चाहे पश्चात् निम्नलिखित आधारों में से किसी पर भी शून्यकरणीय होगा और अकृततता की डिक्री द्वारा बातिल किया जा सकेगा : –
( क ) कि यर्थी की नपुंसकता के कारण विवाहोत्तर संभोग नहीं हुआ है ; या
( ख ) कि विवाह धारा 5 के खण्ड ( ii ) में विनिर्दिष्ट शर्तों का उल्लंघन करता है ; या
( ग ) कि अर्जीदार की सम्मति या , जहां कि धारा 5 जिस रूप में बाल – विवाह अवरोध ( संशोधन ) अधिनियम , 1978 के प्रारम्भ के ठीक पूर्व विद्यमान थी उस रूप में उसके अधीन अर्जीदार के विवाहार्थ संरक्षक की सम्मति अपेक्षित हो वहां ऐसे संरक्षक की सम्मति , बल प्रयोग द्वारा या कर्मकाण्ड की प्रकृति के बारे में या प्रत्यर्थी सेसंबंधित किसी तात्त्विक तथ्य या परिस्थिति के बारे में कपट द्वारा अभिप्राप्त की गई थी , या
( घ ) कि प्रत्यर्थी विवाह के समय अर्जीदार से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा गर्भवती थी ।
( 2 ) उपधारा ( 1 ) में किसी बात के होते हुए भी , विवाह के बातिलीकरण की कोई अर्जी
( क ) उपधारा ( 1 ) के खंड ( ग ) में विनिर्दिष्ट आधार पर ग्रहण ने की जाएगी , यदि
( i ) अर्जी , यथास्थिति , बल प्रयोग के प्रवर्तनहीन हो जाने या कपट का पता चल जाने के एकाधिक वर्ष के पश्चात् दी जाए ; या
( ii ) अर्जीदार , यथास्थिति , बल प्रयोग के प्रवंतहीन हो जाने के या कपट का पता चल जाने के पश्चात् विवाह के दूसरे पक्षकार के साथ अपनी पूर्ण सम्मति से पति या पत्नी के रूप में रहा या रही है ;
( ख ) उपधारा ( i ) के खण्ड ( घ ) में विनिर्दिष्ट आधार पर तब तक ग्रहण न की जाएगी जब तक कि न्यायालय का यह समाधान न हो जाए कि
( i ) अर्जीदार विवाह के समय अभिकथित तथ्यों से अनभिज्ञ था ;
( ii ) कार्यवाही , इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व अनुष्ठापित विवाह की दशा में ऐसे प्रारम्भ के एक वर्ष , के भीतर और ऐसे प्रारम्भ के पश्चात् अनुष्ठापित विवाहों की दशा , में , विवाह की तारीख से एक वर्ष के भीतर संस्थित की गई ; और
( iii ) उक्त आधार के अस्तित्व का अर्जीदार को पता चलने के समय में अर्जीदार की सम्मति से कोई वैवाहिक संभोग नहीं हुआ है ।
( रखा माथुर बनाम मनीष खला , ए.आई.आर. 2015 दिल्ली 197 )
पत्नी ने पति की नपुंसकता के आधार पर विवाह के अकृत ( Null ) घोषित कराने हेतु याचिका प्रस्तुत की । पति ने स्वीकार किया कि उसका लिंग छोटा है । वह यह साबित नहीं कर सका कि यह तथ्य पत्नि को विवाह से पूर्व ज्ञात था । पति ने न्यायालय के आदेश के बावजूद चिकित्सीय परीक्षण नहीं कराया । पति के नपुंसक होने की उपधारणा की गई ।
( कला रमन बनाम रवि रंगनाथन , ए . आई . आर . 2015 कलकत्ता 248 )
हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत ” कपट ” से अभिप्राय है विवाह के लिए बल प्रयोग , द्वारा अथवा सारभूत तथ्यों को छिपाते हुए सम्मति प्राप्त करना ।