धारा 101 IPC कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक होता है – यदि अपराध पूर्वगामी प्रगणित भाँतियो में से किसी भी भाँति का नहीं है, तो शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार हमलावर
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100 IPC In Kanoon Ki Roshni Mein Words-: यह धारा बताती है कि आप कब प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग मे किसी व्यक्ति की जान भी ले सकते है ! और वो 7 कंडिशन्स नीचे बतायी गई है जिनमे आप किसी
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99 IPC In Hindi By Kanoon Ki Roshni Mein-: नीचे दी गई कंडिशन्स मे आपको प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार प्राप्त नही होता है ! धारा 99 IPC कार्य जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है –यदि कोई कार्य जिससे
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98 IPC In Kanoon Ki Roshni Mein Words-: प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार का अधिकार आपको पागल या नासमझ व्यक्ति के खिलाफ तो मिलता ही हैसाथ ही बालक के विरुद्ध आपको यह अधिकार प्राप्त होता है ! धारा 98 IPC ऐसे व्यक्ति के
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97 IPC In Kanoon Ki Roshni Mein Words -: यह धारा आपको स्वयं के शरीर की सुरक्षा और स्वयं की संपत्ति की सुरक्षा का तो अधिकार तो देती है साथ ही आपको दूसरे व्यक्ति के भी शरीर और संपत्ति की सुरक्षा करने
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96 IPC By Kanoon Ki Roshni Mein Words -: प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग मे कोई अपराध भी हो जाता है तो भी आपने कोई अपराध नही किया है यही माना जाता है ! धारा 96 IPC प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई
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प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार ! Right To Private Defence By Kanoon Ki Roshni Mein भारतीय दंड संहिता के अध्याय 4 में धारा 96 से लेकर धारा 106 तक प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के बारे में प्रावधान किया गया है , जो आपको
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