section 2 Hindu marriage act अधिनियम का लागू होना-
( 1 ) यह अधिनियम लागू है –
( क ) ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो हिन्दू धर्म के किसी भी रूप या विकास के अनुसार , जिसके अन्तर्गत वीरशैव , लिंगायत अथवा ब्रह्मसमाज , प्रार्थनासमाज या आर्यसमाज के अनुयायी भी आते हैं , धर्मतः हिन्दू हों ;
( ख ) ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो धर्मतः जैन , बौद्ध या सिक्ख हों ; तथा
( ग ) ऐसे किसी भी अन्य व्यक्ति को जो उन राज्यक्षेत्रों में , जिन पर इस अधिनियम का विस्तार है , अधिवसित हो और धर्मतः मुस्लिम , क्रिश्चियन , पारसी या यहूदी न हो , जब तक कि यह साबित न कर दिया जाए कि यदि यह अधिनियम पारित न किया गया होता तो ऐसा कोई भी व्यक्ति एतस्मिन उपबन्धित किसी भी बात के बारे में हिन्दू विधि या उस विधि के भाग रूप किसी रूढ़ि या प्रथा द्वारा शासित न होता ।
स्पष्टीकरण – निम्नलिखित व्यक्ति धर्मतः यथास्थिति , हिन्दू , बौद्ध , जैन या सिक्ख है :
( क ) कोई भी अपत्य , धर्मज या अधर्मज , जिसके माता पिता दोनों ही धर्मतः हिन्दू , बौद्ध , जैन या सिक्ख हों ;
( ख ) कोई भी अपत्य , धर्मज या अधर्मज , जिसके माता पिता में से कोई एक धर्मतः हिन्दू , बौद्ध , जैन या सिक्ख हो और जो उस जनजाति , समुदाय , समूह या कुटुंब के सदस्य के रूप में पला हो जिसका वह माता या पिता सदस्य है या था , तथा
( ग ) कोई भी ऐसा व्यक्ति जो हिंदू , बौद्ध , जैन या सिक्ख धर्म में संपरिवर्तित या प्रतिसंपरिवर्तित हो गया हो ।
( 2 ) उपधारा 1 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम में अंतर्विष्ट कोई भी बात किसी ऐसी जनजाति के सदस्यों को जो संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25 के अर्थ के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति हो , लागू न होगी जब तक कि केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अन्यथा निर्दिष्ट न कर दे ।
( 3 ) इस अधिनियम के किसी भी प्रभाग में आए हुए ” हिंदू ” पद का ऐसा अर्थ लगाया जाएगा मानो उसके अंतर्गत ऐसा व्यक्ति आता हो जो यद्यपि धर्मतः हिंदू नहीं है तथापि ऐसा व्यक्ति है जिसे यह अधिनियम इस धारा में अंतर्विष्ट उपबंधों के आधार पर लागू होता है ।