96 IPC In Hindi
96 IPC By Kanoon Ki Roshni Mein Words -:
प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग मे कोई अपराध भी हो जाता है तो भी आपने कोई अपराध नही किया है यही माना जाता है !
धारा 96 IPC प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें – कोई बात अपराध नहीं है जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है !
टिप्पणी
धारा 96 को समझिए- धारा 96 केवल इस तथ्य को मान्यता प्रदान करती है कि जब भी कोई बात किसी की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाए तो वह अपराध नहीं है प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है प्रतिरक्षा का कार्य है दुर्व्यवहार का नहीं ,मतलब इस अधिकार को किसी आक्रमण को उचित ठहराने के लिए ढाल की तरह उपयोग करने की स्वीकृति नहीं दी जा सकती, इसके लिए प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों का सावधानीपूर्वक विवेचन आवश्यक है जिससे यह ज्ञात हो सके कि क्या अभियुक्त ने वास्तव में प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया था अथवा नहीं!
जजमेंट👇
सुब्रह्मणि बनाम तमिलनाडु राज्य के जजमेंट में उच्चतम न्यायालय ने यह अभीनिर्धारित किया कि अभियुक्त के द्वारा प्राइवेट प्रतिरक्षा का तर्क प्रस्तुत करना सर्वदा आवश्यक नहीं नहीं है इस प्रतिरक्षा के तर्क को ना प्रस्तुत किए जाने के बावजूद न्यायालय इस पर विचार कर सकता है यदि परिस्थितियां यह दर्शाए कि इस प्रतिरक्षा का उपयोग न्याय संगत रूप से किया गया परंतु प्रस्तुत मामले में यह साबित ना होने के कारण अभियुक्त को इस प्रतिरक्षा का लाभ प्राप्त नहीं हुआ !