430 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: खेती ,मनुष्य ,जीव जन्तु के उपयोग मे आने वाले पानी की दिशा को मोडकर पानी मे कमी लाना
जो कोई किसी ऐसे कार्य के करने द्वारा रिष्टि करेगा, जिससे खेती मे काम आने वाले पानी , या मनुष्य या उन जीव-जन्तुओं के जो सम्पत्ति हैं किसी व्यक्ति की , खाने या पीने के या सफाई के या किसी निर्माण मे काम आने वाले पानी में कमी कारित होती हो या कमी होने सम्भावना को वह जानता हो , वह दंडित किया जायेगा।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
430.सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि
जो कोई किसी ऐसे कार्य के करने द्वारा रिष्टि करेगा जिससे कृषिक प्रयोजनों के लिए, या मानव-प्राणियों के या उन जीव-जन्तुओं के, जो सम्पत्ति हैं, खाने या पीने के या सफाई के या किसी विनिर्माण को चलाने के जलप्रदाय में कमी कारित होती हो या कमी कारित होने की सम्भावना को वह जानता हो, वह पांच वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, दंडित किया जायेगा।
•सुप्रीम कोर्ट के 430 I.P.C. से सम्बंधित निर्णय-
1.नायक बनाम पलानीअम्माल, 1920 क्रि० एल० जे० 137 किसी व्यक्ति का यह सद्भावपूर्ण विश्वास कि वह अधिकारस्वरूप कोई कार्य कर सकता है, इस धारा के अधीन उसे दोषी नहीं करता क्योंकि रिष्टि में आवश्यक आशय या ज्ञान साबित किया जाना अनिवार्य है। इसलिए जहां अभियुक्त इस प्रत्याशा से किसी बंद को काटकर खोल लेता है और अपने खेतों में जल ले लेता है, कि पूर्व की तरह उसको ऐसा करने की अनुमति प्राप्त हो जाएगी, वह इस धारा के अधीन अपराध कारित नहीं करता
2.रघुनाथ ठाकुर बनाम एम्प०, 1932 क्रि० एल० जे० 313 मे अभियुक्त ने अपनी फसल की सुरक्षा के लिए, जिसके अन्यथा नष्ट हो जाने की सम्भावना थी, परिवादी के बांध को काट दिया, तो भी वह इस धारा के अधीन दोषी होगा।
परन्तु
3.रामदास पाण्डेय बनाम नगेन्द्रनाथ, (1948) 1 कलकत्ता 329 जहाँ भू-स्वामी ने अपने किरायेदारों के उपयोग के लिए, जिन्होंने इसके लिए अलग से भुगतान करना स्वीकार किया था, जल को पम्प द्वारा पहुँचाने की व्यवस्था करने की सम्मति दी थी, पर अचानक उसने ऐसा करना रोक दिया, उसे इस धारा के अधीन दोषसिद्ध नहीं किया गया क्योंकि यह संविदा भंग का मामला था।
नोट :- इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, जमानतीय और उस व्यक्ति से समझोंता हो सकता है जिसे हानि या नुकसान कारित हुआ हो जब विचारणीय न्यायालय ने ऐसा करने की अनुमति दे दी हो, और यह प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।