427 IPC IN HINDI
427 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:रिष्टि जिससे 50 रुपये या अधिक मूल्य वाली सम्पति का नुकसान होता है—
आज के समय में पचास रुपये की रकम एक बहुत छोटी रकम है, और इसका अर्थ यह है कि रिष्टि(425 ipc) के सामान्य मामले अब इस धारा के अधीन दंडित किए जाते हैं, धारा 426 ipc के अधीन नहीं,आज के समय में रिष्टि अधिक गम्भीर अपराध बन गया है।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
427 IPC रिष्टि जिससे पचास रुपये का नुकसान होता है—
जो कोई रिष्टि करेगा और तद्द्द्वारा पचास रुपए या उससे अधिक रिष्टि की हानि या नुकसान कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के 427 I.P.C. से सम्बंधित निर्णय-
कोलाथूकारा गोउन्दन बनाम कुप्पुस्वामी गोउन्दन (1948) 1 मद्रास एल०जे० 330)परिवादी, जिसका भूमि के एक भाग पर कोई अधिकार नहीं था, ने उस पर खेती की, और अभियुक्त ने अपने पशु उसमें छोड़ दिए जिससे सारी फसल नष्ट हो गई, इस धारा को लागू किया गया।
सदापाणिग्रहि बनाम रघुनाथ दास 1950 क्रि० एल० जे० 1333 परिवादी के मकान के एक भाग ने अभियुक्तों की भूमि पर अधिक्रमण कर लिया, और अभियुक्तों ने अपना भूमि के ऊपर मकान के उस भाग को ध्वस्त कर दिया, और गिराई गई सामग्री इस सद्भावपूर्ण विश्वास से ले गए कि तोड़ा हुआ भाग उनका था, इसे चोरी अभिनिर्धारित नहीं किया जा सकता क्योंकि अभियुक्तों के द्वारा किया गया कार्य बेईमानी से नहीं किया गया था, और यह रिष्टि भी नहीं हो सकती क्योंकि रिष्टि के लिए आवश्यक आशय या ज्ञान का अभाव था।
Note: इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और
राजीनामा हो सकता हैं यदि हानि या नुकसान किसी प्राइवेट व्यक्ति को कारित किया गया हो,
परंतु हानि या नुकसान सरकार को हुआ है तब नही होगा राजीनामा
और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।