424 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक हटाना या छिपाया या छोड़ देना पर दंड –
जो कोई बेईमानी से या कपट करने के लिए अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की किसी सम्पत्ति को छिपाएगा या हटाएगा, या ऐसा करने मे सहायता करेगा, या अभियुक्त के द्वारा बेईमानी से सम्पत्ति को छोड़ देगा जब किसी मांग या दावे उससे किए जाए जिनका वह चुकाने का वह हकदार है बचने के लिए ऐसा करेगा इस धारा के अधीन दंडनीय है।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
424 IPC सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना-
जो कोई बेईमानी या कपटपूर्वक अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की किसी सम्पत्ति को छिपाएगा या अपसारित करेगा, या उसके छिपाए जाने में या अपसारित किए जाने में बेईमानी से या कपटपूर्वक सहायता करेगा, या बेईमानी से किसी मांग या दावे को, जिसका वह हकदार है, छोड़ देगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
note:इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और शमनीय है यदि विचारणीय न्यायालय ऐसा करने की अनुमति दे, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं।
सुप्रीम कोर्ट के 424 I.P.C. से सम्बंधित निर्णय-
1. टीका बनाम राज्य, 1961 इलाहाबाद एल० जे० 430जहां कोई सम्पत्ति न्यायालय के द्वारा वैध रूप से कुर्क कर ली गई हो, उसका कब्जा उसके स्वामी से न्यायालय या उसके अभिकर्ता के पास चला जाता है, और यदि पूर्व स्वामी दोषपूर्ण ढंग से उस सम्पत्ति को लेता है, तो वह विधि को अपने हाथों में लेता है, और इस प्रकार इस धारा के अधीन अपराध कारित करता है। क्योंकि यह स्पष्ट है कि उसके द्वारा बेईमानी से कार्य किया गया।।
परन्तु
2.सोहन मुन्डारी बनाम एम्म०, ( 1929) 31 क्रि० एल० जे० 435 मे अभियुक्त निर्णीत ऋणी नहीं है, और उसने अपनी भूमि पर फसल उगाई है, और उसका तर्क यह है कि फसल को कुर्क नहीं किया जा सकता, तो वह इस धारा के अधीन दोषी नहीं है, क्योंकि उसने बेईमानी से कार्य नहीं किया।
परन्तु
3.सरसर सिंह बनाम एम्म०, 1934 क्रि० एल० जे० 1307 (इलाहाबाद) मे एक अमीन सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 21, नियम 44 के अन्तर्गत आवश्यकताओं का बगैर अनुपालन किए हुए अभियुक्त की फसल कुर्क करने को तात्पर्यत होता है, इसके पश्चात् अभियुक्त के द्वारा फसल का हटाया जाना इस धारा के अधीन दंडनीय नहीं है क्योंकि कुर्की स्वत: ही अवैध थी।
4.जी० एस० राजकुमार बनाम राज्य, 1979 क्रि० एल० जे० 738 मे दो डाक्टर भागीदारी में एक अस्पताल चलाते थे, और उनमें से एक ने दूसरे के विरुद्ध यह परिवाद किया कि वह दूसरा डाक्टर उपकरणों के ऊपर संयुक्त कब्जा उपभोग करने में बाधा डाल रहा है, यह अभिनिर्धारित किया कि यह धारा लागू नहीं होगी वनोंकि आरोप यह था ही नहीं कि अभियुक्त डाक्टर ने भागीदारी के किसी उपकरण को अपसारित किया या छिपाया था।