418 IPC IN HINDI

418 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:

इस धारा के अधीन यह साबित किया जाना चाहिए कि अभियुक्त ने छल किया है। छल करते समय उसे इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि इस बात की सम्भावना है कि इसके द्वारा ऐसे व्यक्ति को हानि पहुँचेगी ,जिस व्यक्ति का हित की सुरक्षा करने के लिए वह या तो कानून  द्वारा या लीगल कान्ट्रैक्ट  द्वारा बंधा हुआ है इस धारा के अधीन ऐसे छल के लिए सामान्य छल से अधिक दंड की व्यवस्था हैं। इस उपबंध के अन्तर्गत अधिकतर संरक्षक, सालिसिटर, अभिकर्ता या न्यासी आदि के द्वारा कारित छल के मामले आते हैं।

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

418. इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है –

जो कोई इस ज्ञान के साथ छल करेगा कि यह सम्भाव्य है कि वह तद्द्द्वारा उस व्यक्ति को सदोष हानि पहुँचाए, जिसका हित उस संव्यवहार में जिससे वह छल सम्बन्धित है, संरक्षित रखने के लिए वह या तो विधि द्वारा, या वैध संविदा द्वारा, आबद्ध था, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

note :- इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और शमनीय है, जब विचारणीय न्यायालय इस बात की अनुमति दे, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

सुप्रीम  कोर्ट  के 418 I.P.C. से  सम्बंधित  निर्णय-

एस० शंकरमणि बनाम निहार रंजन परीदा, 1991 क्रि० एल० जे० 65 (उड़ीसा) एक बैंक, जो कि एक मकान को किराये पर लेना चाहती थी, की इच्छानुसार भू-स्वामी ने मकान में मरम्मत का कार्य करवाया, परन्तु अंततः बैंक ने भू-स्वामी को सूचित किया कि उनके नियन्त्रण के बाहर के कारणों से बैंक वह मकान किराये पर नहीं ले सकेगी, यह अभिनिर्धारित किया गया कि यह धारा लागू नहीं होगी और भू-स्वामी यदि चाहे तो सिविल कार्यवाही की जा सकती है।

 

 

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