417 IPC IN HINDI

417. छल के लिये दण्ड-

जो कोई छल करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

note: इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और शमनीय हैं जब विचारणीय न्यायालय इसकी अनुमति देता है, और यह किसी मजिस्ट्रेट के द्वारा विचारणीय है।

सुप्रीम  कोर्ट  के 417 I.P.C. से  सम्बंधित  निर्णय-

मोहम्मद रियाज बनाम राज्य, 1980 क्रि० एल० जे० 369 (इलाहाबाद) में  हाँ अभियुक्त लम्बरदार ने एक दस्तावेज में नामित एक व्यक्ति को एक अन्य व्यक्ति, जिसने वह दस्तावेज निष्पादित किया था, बतलाकर मिथ्या रूप से और साशय एक उप रजिस्ट्रार को वह दस्तावेज दोषपूर्ण रूप से रजिस्ट्रीकृत करने के लिए उत्प्रेरित किया, उसे छल करने के लिए इस धारा के अधीन दंडित किया गया। जहाँ अभियुक्त का आशय दोषपूर्ण तरीके से वह उत्पाद शुल्क अपने पास रखना था जिसे एक अन्य व्यक्ति से, जिसने एक बंधित भांडागार से अन्य बंधित भांडागार में बिना शुल्क भुगतान किया हुआ तम्बाकू हटाया था, राज्य को विधि के अन्तर्गत वसूल करने का अधिकार था, उन्हें इस धारा के अधीन दंडित किया गया।

ताजुद्दीन बनाम असम राज्य’  2007 क्रि० एल० जे० एन० ओ० सी०) 198 (गौहाटी).में अभियुक्त ने अभिकथित रूप से पीड़ित को इस वादे के साथ अपने साथ लैंगिक सम्बन्ध बनाने के लिये उत्प्रेरित किया कि वह उसी से विवाह करेगा। परिणाम स्वरूप वह गर्भवती हो गई जिससे उसको शारीरिक, मानसिक और ख्याति सम्बन्धी नुकसान या अपहानि कारित हुई जो छल का अपराध है। गौहाटी उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि अभियुक्त का यह तर्क कि कारित अपराध चूंकि संपत्ति का अपराध नहीं है, इसलिये धारा 417 के अधीन उसे दंडित नहीं किया जा सकता, सही नहीं है। अभियुक्त का यह कथन कि विचारणीय न्यायालय के द्वारा उसे दोषसिद्ध किये जाने के निर्णय के पश्चात् उसने अभियोक्त्री के साथ विवाह कर लिया है, अभियोक्त्री के द्वारा इस प्रकार का आवेदन दाखिल किये जाने के अभाव में अपराध के शमन का आधार नहीं बन सकता। फिर भी, अभियुक्त के विरुद्ध छह माह के कारावास के दंडादेश को पाँच हजार रुपये के जुर्माने में उपांतरित कर दिया गया।

 

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