414 IPC IN HINDI
414 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:
इस धारा के अधीन अभियुक्त चुराई हुई सम्पत्ति को छिपाने में, या ढिकाने लगाने में, या इधर-उधर करने में सहायता देता है। यह सहायता उसके द्वारा अपनी मर्जी से दी जानी चाहिए। अभियुक्त को या तो इस बात का जानकारी होना चाहिए या उसके पास ऐसा विश्वास करने का कारण होना चाहिए कि सम्पत्ति, जिसके बारे में वह उक्त सहायता करता है, चुराई हुई सम्पत्ति है।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
414 IPC चुराई हुई सम्पत्ति छिपाने में सहायता करना-
जो कोई ऐसी सम्पत्ति को छिपाने में, या व्ययनित करने में, या इधर-उधर करने में स्वेच्छया सहायता करेगा, जिसके विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुई सम्पत्ति है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और शमनीय हैं, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
सुप्रीम कोर्ट के 414 I.P.C. से सम्बंधित निर्णय-
1.अजेन्द्रनाथ बनाम राज्य, 1964 क्रि० एल० जे० 129 (एस० सी०) के वाद मे उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि यह आवश्यक नहीं है कि अभियुक्त इस धारा के अधीन केवल तब दोषसिद्ध किया जा सकता है जब किसी अन्य व्यक्ति को ढूंढ लिया जाए और उसे चोरी के लिए दोषसिद्ध कर दिया जाए। केवल यह साबित किया जाना आवश्यक है कि बरामद की गई सम्पत्ति चुराई गई सम्पत्ति थी और अभियुक्त ने उसको छिपाने में, या व्ययनित करने में, या इधर-उधर करने में, यह जानते हुए या विश्वास का कारण रखते हुए कि वह चुराई हुई सम्पत्ति थी, स्वेच्छया सहायता की।
2.इन री देशवियम, 1985 क्रि० एल० जे० एन० ओ० सी० 63 (मद्रास) के वाद मे मृतक की सम्पत्ति अभियुक्त के कब्जे से बरामद की गई, और सबूत न होने के कारण अभियुक्त मृतक की हत्या और उसकी सम्पत्ति की चोरी के लिए दोषसिद्ध न किया जा सके, वह इस धारा के अधीन दोषसिद्ध किया जा सकता है
3.हरि सिंह बनाम एम्प०, ( 1940) 2 कलकत्ता 9 के वाद मे अभियुक्त टैक्सी चालक अपनी टैक्सी में कई यात्री लेकर जा रहा था, जब अनजान कारणों से टैक्सी एक स्थान पर रुक गई, और दो यात्री उसमें से उतरे, और उन्होंने अचानक एक व्यक्ति पर हमला कर उससे पचास रुपये छीन लिए, जिसके पश्चात् वे दोनों पुनः टैक्सी में बैठ गए, और चालक तीव्र गति से गाड़ी को चलाकर ले गया, जबकि पीड़ित चिल्लाता रहा। यह अभिनिर्धारित किया गया कि अभियुक्त चालक धारा 414 के अधीन दोषी है ।