412 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:-
ऐसी सम्पत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है-
जो कोई ऐसी चुराई हुई सम्पत्ती को बेईमानी से प्राप्त करेगा या कब्जे मे रखेगा , जिसके कब्जे के विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह डकैती द्वारा अन्तरित की गई है केवल वह व्यक्ति जिसने डकैती नही की केवल सम्पति खरीदी या अपने पास रखी हो वो इस धारा के अंतर्गत दंडित होगा ना की डकैती करने के लिए।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
412 ipc ऐसी सम्पत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है-
जो कोई ऐसी चुराई हुई सम्पत्ती को बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखेगा , जिसके कब्जे के विषय में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह डकैती द्वारा अन्तरित की गई है , अथवा किसी ऐसे व्यक्ति से , जिसके सम्बन्ध में वह यह जानता है या विश्वात करने का कारण रखता है कि वह डाकुओं की टोली का है । या रहा है , ऐसी सम्पत्ति जिसके विषय में यह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह जुराई हुई है , बेईमानी से प्राप्त करेगा,वह अजीतन कारावास से , या कठिन कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक के हो सकेंगी , दण्डित किया जाएगा , और जुमाने से भी दण्डनीय होगा ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , अजमानतीय और अशमनीय है , और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
सुप्रीम कोर्ट के 412 IPC से सम्बंधित निर्णय-
1.बिभूति बानाम राज्य 1979 क्रि० एल ०जे ० एन० ओ ० सी ० 2 ( इलाहाबाद ) मे अभियुक्त ने अपने घर के निकट कारित की गई एक डकैती के सम्बन्ध में मिथ्या साक्ष्य दिया और कुछ आभूषणों को अपना बतलाया जबकि वे डकैतों में लूटे गये में यह अभिनिधारित किया गया कि यह उपधारणा की जा सकती थी कि या तो अभियुक्त यह जानता था या उसके पास यह विश्वास करने का करण था कि वे आभूषण उसके कब्जे में डकैती द्वारा आए थे ।
2.ईश्वरी बनाम राज्य 1980 क्रि० एल ०जे ० 571 (इलाहाबाद )अभियुक्त के गांव के निकट एक अन्य गाँव में डकैती कारित की गई और डकैती कारित होने के पश्चात् तीन दिनों के भीतर ही डकैती में लूटी गई सम्पत्ति अभियुक्त के पास पाई गई , उसे धारा 412 के अधीन दोषसिद्ध किया गया।
परन्तु
3.राजस्थान राज्य बनाम वासुदेव शर्मा 1983 क्रि० एल ०जे ० एन० ओ ० सी 166 अभियुक्त नहीं जानता था कि डकैती कारित की गई थी , और ऐसी सम्पति खरीदने के लिए अग्रिम रकम का भुगतान करते समय उसके पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं था कि वह सम्पत्ति , जिसको खरीदने के लिए यह अग्रिम भुगतान कर रहा था , डकैती से प्राप्त की गई सम्पत्ति थी उसे इस धारा के अधीन दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता है
किन्तु
4.अमर सिंह बनाम राज्य ए०आई०आर० 1982 एस ०सी ० 129 मे डकैती के मात्र कुछ समय पश्चात् ही सम्पति अभियुक्त के कब्जे में पाई गई , और उसे यह जानकारी थी कि वे वस्तुएं डकैती से प्राप्त वस्तुए थी , उसे इस धारा के अधीन दंडित किया गया
5.छोटेलाल सिंह बनाम राज्य ए०आई०आर० 1978 एस ०सी ० 1390 मे शिनाख्त परेड में अभियोजन पक्ष के साक्षी पद्यपि अभियुक्त की पहचान कर गए , परन्तु चुराई हुई वस्तुओं को अभियुक्त की निशानदेही पर प्राप्त किया गया 412 लागू की गई
6.लछमन राम बनाम राज्य ए०आई०आर० 1985 एस ०सी ० 486 धारा 412 उस परिस्थिति में भी लागू की गई जब डकैती में चुराई गई वस्तुएं पुलिस अधिकारियों और अन्य साक्षियों की उपस्थिति में अभियुक्त की निशानदेही पर की गई ।
परन्तु
7.दिलीप मलिक बनाम राज्य,क्रि० एल ०जे ०1991 2171 ( कलकता )वह व्यक्ति जिसे डकैती कारित करने के लिए पहले हो दोषसिद्ध किया गया हो , डकैती से प्राप्त सम्पत्ति के कब्जे के लिए पारा 412 अधीन पुनः दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता ।