411 IPC IN HINDI

411 IPC चुराई हुई सम्पत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना

जो कोई किसी चुराई हुई सम्पत्ति(410 IPC ) को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह चुराई हुई सम्पत्ति है, बेईमानी से प्राप्त करेगा. या रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय , अजमानतीय और शमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

सुप्रीम  कोर्ट  के 411 IPC से  सम्बंधित  निर्णय-

1.शिव नाथ बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1970 एस ० सी ० 535 डकैती के तीन दिन पश्चात् चुराया हुआ कपड़ा अभियुक्त के पास से बरामद किया गया , परन्तु अन्य कोई वस्तु उसके पास से बरामद नहीं हुई , और उसका नाम न तो किसी प्रत्यक्ष साक्षी ने लिया और न ही अपने मृत्युकालिक कथन में मृतक ने , जिसकी उस डकैती में मृत्यु हो गई थी , और न ही उसके गांव में उस डकैती या चुराए हुए माल के बारे में किसी को जानकारी थी , केवल एक उपधारणा जो उसके बारे में की जा सकती थी वह यह थी कि उसे मालूम था कि वह कपड़ा चुराई हुई सम्पत्ति थी और यह नहीं कि उसे उस डकैती के दौरान प्राप्त किया गया था , और इस प्रकार वह धारा 411 के अधीन दोषी था ,

2.द्वारिका लोहार बनाम एम्प ० , ( 1940 ) 42 क्रि ० एल ० जे ० 258 एक बालक ने एक डकैती में भाग लिया था , और उसके घर से चुराया हुआ कपड़ा बरामद कर लिया गया , उसके पिता को इस धारा के अधीन केवल इस आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा के अन्तर्गत एक धार्मिक अनुष्ठान एक सकता कि वह और उसका पुत्र उस मकान में एक साथ रहते थे ।

3..बंधु बनाम एम्प ० , ( 1885 ) 8 इलाहाबाद 51 सांड को खुला छोड़ दिया गया , और वह किसी की सम्पत्ति नहीं था , धारा 411 के अधीन अपराध उस सांड के विषय में नहीं किया जा सकता था , क्योंकि सांड के स्वामी ने उस पर से अपने सभी अधिकार आत्मसमर्पित कर दिए थे , और इस प्रकार वह एक ‘ न्यूलियस प्रोप्राइटस ‘ था

4.अभियुक्त के घर से एक चुराई हुई गाय बरामद की गई , केवल इतने से तथ्य के आधार पर वह इस धारा के अधीन दोषी नहीं ठहराया जा सकता , चाहे वह अपने घर में उस गाय की उपस्थिति स्पष्ट न भी कर पाए ।

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