जो कोई डकैती करने के लिए कोई तैयारी करेगा , वह कठिन कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , अजमानीय और अशमनीय है , और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
399 ipc से सबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय-
न् गापु बनाम एम्प ० , 1926 क्रि ० एल ० जे ० 1285 डकैती कारित करने के लिए साधनों का आविष्कार या प्रबन्ध करना डकैती कारित करने के लिए तैयारी करना है । इस प्रकार यह डकैती कारित करने के लिए कहीं पर मात्र एकत्र होने से आगे जाना है ।
चतुरी यादव बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1979 एस ० सी ० 1412 उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि मात्र यह बात कि रात्रि के एक बजे आठ व्यक्ति बाजार के निकट एक स्कूल के परिसर में एकत्र हुए थे , और उनके पास से एक बंदूक और कुछ कारतूसें भी बरामद की गई थीं , का यह अर्थ नहीं है कि उन्होंने धारा 399 या धारा 402 के अधीन अपराध कारित किया ।
घोलटू मोदी बनाम राज्य , 1986 क्रि ० एल ० जे ० 1031 पटना उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को मानते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि जहाँ कुछ व्यक्ति रात्रि में एक बन रहे मकान के निकट बैठे हुए पाए गए , और उनके पास से कुछ आग्नेयास्त्र , बम और एक भुजाली बरामद की गई , केवल इस साक्ष्य के आधार पर उन्हें धारा 399 के अधीन दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता ।
सुकलाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य 1998 क्रि ० एल ० जे ० 1366 ( मध्य प्रदेश )में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने धाराओं 399 और 402 के बीच अन्तर स्पष्ट करते हुए कहा कि डकैती की तैयारी के लिए मात्र एकत्रित होना ही धारा 402 के अधीन दंडनीय है जबकि धारा 399 के अपराध के लिए यह सिद्ध होना आवश्यक है कि डकैती की तैयारी के लिए कतिपय अतिरिक्त कदम उठाए गए थे ।