395 IPC IN HINDI

                                                   

395 ipc डकैती के लिए दण्ड-

जो कोई डकैती करेगा , वह आजीवन कारावास से , या कठिन कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

धारा 395 के अधीन अपराध संज्ञेय , अजमानतीय और अशमनीय है , और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।

395 ipc  से  सबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय

1. राज्य बनाम गोपालन , 1977 क्रि ० एल ० जे एन ० ओ ० सी ० 277 ( केरल )

पांच अभियुक्तों में से तीन को निचले न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया , चौथे ने अभिकथित रूप से चाकू घुमाकर पीड़ित से सोने की जंजीर छीनी थी , जबकि पांचवें ने अभिकथित रूप से अभियोजन पक्ष के एक साक्षी को अवरुद्ध किया था , तो उचित आदेश उनको धारा 392 के अधीन दोषसिद्ध करना होगा , धारा 395 के अधीन नहीं ।

2. ओम प्रकाश बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1983 एस ० सी ० 431

 डकैती के एक मामले के तथ्य और सभी परिस्थितियां आभयुक्तों के दोषी होने की ओर इंगित कर रहे थे , केवल लूटी हुई सम्पत्ति का बरामद न होने से इस मामले में कोई अन्तर नहीं पड़ता , और अभियुक्त डकैती के लिए ही दोषसिद्ध किए जाएंगे ।

3. राम लखन बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1983 एस ० सी ० 352

जहाँ डकैती की प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित नौ व्यक्तियों में से मात्र एक को छोड़कर अन्य आठ को दोषमुक्त कर दिया गया , उस बचे हुए अकेले अभियुक्त को इस धारा के अधीन दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता ।3

4. कुशो महतो बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1980 एस ० सी ० 788

डकैती के एक मामले में अपीलार्थीगण युवक थे , और वे लगभग डेढ़ वर्ष तक कारावास का दंड भुगत चुके थे , और जब उन्होंने डकैती की थी उस समय उन्होंने किसी व्यक्ति को क्षति कारित नहीं की थी , यह अभिनिर्धारित किया गया कि उनके विरुद्ध कारावास के दंड की अवधि को उतना कम कर दिए जाने का समुचित आधार था जितना कारावास में वे भुगत चुके थे

5.राजस्थान राज्य बनाम तलेवर कुशो महतो बनाम राज्य ,  2011 क्रि ० एल ० जे ० 3937 ( एस ० सी ० )

में डकैती और हत्या के अपराध में भागीदार के रूप में प्रत्यर्थी अभियुक्त को साक्षियों ने नहीं पहचाना । प्रकटीकरण पर बरामद की गयी चुराई गई चीजें घटना के समय निकट नहीं थीं । चुराई गई चीजें या तो रोकड़ थीं अथवा छोटी – छोटी चीजें और गाड़ियां थीं जो सरलता से एक व्यक्ति के पास से अन्य तक पहुंच सकती थीं । प्रकटीकरण कथन पर चुराई गई चीजों की बरामदगी अभियुक्त के विरुद्ध मात्र साक्ष्य हैं और उनसे उसकी दोषसिद्धि की उपधारणा नहीं की जा सकती । जहां अन्य मत सम्भाव्य हो वहां नेमी विषय में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिये । उपर्युक्त कारणों से अभियुक्त को संहिता की धाराओं 395 , 396 और 397 के अधीन आरोपों से उच्चतम न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया ।

6 . मूसा खां बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1976 एस ० सी ० 2566

धारा 149 के साथ धारा 395 का पढ़ा जाना— उच्चतम न्ययालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि डकैती के मामले में चूंकि पहले से ही पांच व्यक्ति होते हैं , अतः धारा 149 का संयोजन केवल फालतू है

7. कुनी बनाम एम्प ० , ( 1867 ) 7 डब्ल्यू ० आर ० ( क्रि ० ) 48

धारा 511 के साथ धारा 395 का पढ़ा जाना- – चूंकि डकैती के अपराध की प्रकृति पांच या अधिक व्यक्तियों के द्वारा कारित लूट या लूट का प्रयत्न है , अत : डकैती कारित करने के प्रयत्न का कोई मामला नहीं हो सकता । अतः धारा 395 और धारा 511 कभी भी साथ – साथ नहीं रह सकते ।

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