392 IPC IN HINDI
392 ipc in hindi लूट के लिए दण्ड–
जो कोई लूट करेगा, वह कठिन कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा , और यदि लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की जाए तो कारावास चौदह वर्ष तक का हो सकेगा ।
392 ipc से सम्बन्धित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय
1.के ० मोहम्मद बनाम राज्य , 1974 क्रि ० एल ० जे ० 204 ( केरल )
किसी स्त्री की मृत्यु कारित करने के पश्चात् उसके शरीर से गहने उतार लेना लूट नहीं है क्योंकि मृत शरीर ‘ व्यक्ति ‘ नहीं है , और गहनों पर मृत शरीर का कब्जा नहीं हो सकता । यह आपराधिक दुर्विनियोग भी नहीं है क्योंकि अभियुक्त को हत्या के आरोप से दोषमुक्त कर दिया गया है ।
2.लछमन राम बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1985 एस ० सी ० 486
कुछ अभियुक्तों को दस वर्ष के कठिन कारावास से दंडित किया गया और कुछ अन्य को आठ वर्ष से , और प्रत्यक्षतः ऐसा करने का कोई कारण नहीं था , प्रत्येक अपराधी को सात वर्ष के एक समान कारावास से दंडित करना उचित होगा
3.हरदयाल प्रेम बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1991 एस ० सी ० 269
दो व्यक्तियों को धाराओं 302 , 304 और 392 के अधीन आरोपित किया गया , और उन्हें धाराओं 302 और 392 के अधीन दोषसिद्ध किया गया , और उनमें से एक ने अपनी दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील नहीं की , जबकि दूसरे को अपील में दोषमुक्त कर दिया गया , वह दूसरा व्यक्ति , जिसने अपील नहीं की थी , भी दोषमुक्त किए जाने योग्य है
4.मोहम्मद इशाक बनाम एस ० कजम पाशा 2009 क्रि ० एल ० जे ० 3063 ( एस ० सी ० )
में विधि विरुद्ध जमाव ने सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करते हुये प्रथम अभियुक्त की प्रेरणा पर कार्य किया । उच्चतम न्यायालय ने प्रथम अभियुक्त को धाराओं 392 और 452 के अधीन दोषी ठहराया ।
संज्ञेय |
संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) | संज्ञेय |
जमानत | गैर जमानतीय | गैर-जमानतीय |
विचारणीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
समझौता | नही किया जा सकता | नही किया जा सकता |