391 IPC IN HINDI
391 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words लूट डकैती मे परिवर्तन हो जाती है जब पांच या उससे अधिक व्यक्ति आपस मे मिलकर लूट करते हैं या लूट का प्रयत्न करते हैं या जहां कि वे व्यक्ति जो वही मौजूद हैं और आपस मे मिलकर एक दूसरे की मदद करते हैं, कुल मिलाकर पांच या अधिक हैं, तब हर व्यक्ति जो इस प्रकार लूट करता है, या उसका प्रयत्न करता है या उसमें बाकिऔ की मदद करता है, कहा जाता है कि वह “डकैती” करता है।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
391 ipc डकैती – जब कि पांच या अधिक व्यक्ति संयुक्त होकर लूट करते हैं या करने का प्रयत्न करते हैं उपस्थित हैं और ऐसे लूट के किए जाने या ऐसे प्रयत्न में मदद करते हैं , कुल मिलाकर पांच या अधिक है , तब हर व्यक्ति जो इस प्रकार लूट करता है , या उसका प्रयत्न करता है या उसमें मदद करता है , कहा जाता है । कि वह ” डकैती ” करता है ।
टिप्पणी
संयुक्त होकर या तो लूट करते हैं , या लूट का प्रयत्न करते हैं , या जबकि वे व्यक्ति जो संयुक्त होकर लूट करते यह धारा डकैतों के अपराध को परिभाषित करती है । इसके अनुसार , जबकि पांच या अधिक व्यक्ति हैं या लूट का प्रयत्न करते हैं और वे व्यक्ति जो उपस्थित हैं और ऐसी लूट के किए जाने में या ऐसे प्रयत्न में मदद करते हैं कुल मिलाकर पांच या अधिक हैं , तब हर व्यक्ति जो इस प्रकार लूट करता है , या उसका प्रयत्न करता है , या उसमें मदद करता है , ” डकैती ” करता है । पांच या व्यक्ति लूट लूट का अधिक व्यक्तियों द्वारा लूट या लूट का प्रयत्न डकैती है । यह आवश्यक नहीं है कि सभी पांचों कारित करें या लूट कारित करने का प्रयत्न करें । यदि कुल मिलाकर लूट कारित करने वाले , प्रयत्न करने वाले , और लूट के किए जाने में या लूट के प्रयत्न में उपस्थित होकर मदद करने वाले , कम से कम पांच व्यक्ति हो , तो वे सभी डकैतों के दोषी होंगे । दूसरे शब्दों में , वे जो लूट कारित कर रहे हों , और वे जो लूट कारित करने का प्रयत्न कर रहे हो , और वे जो उपस्थित हों और लूट के किए जाने या ऐसे प्रयत्न में मदद कर रहे हों , सभी गिन लिए जाएं , और उनकी संख्या पांच या अधिक हो , तो वे सभी डकैती के अपराध के दोषी होंगे । डकैती को सामूहिक लूट या सामूहिक लूट का प्रयत्न भी कहा जाता है , परन्तु यह आवश्यक है कि ऐसे समूह में न्यूनतम पांच व्यक्ति हो । इस प्रकार , डकैती एक गम्भीर लूट का प्रयत्न या गम्भीर लूट है , जो स्वयं एक गम्भीर उद्दापन या गम्भीर चोरी है । अत : चोरी , उद्दापन , लूट और डकैती का एक दूसरे से अन्तरंग सम्बन्ध है । अभिव्यक्ति ‘ संयुक्त होकर ‘ का अर्थ एकीकृत या संगठित या सम्मिलित कर्म के साथ एक समान आशय है । इस अभिव्यक्ति का गूढ़ अर्थ होने के कारण जानबूझकर इसका प्रयोग किया गया है । जैसे ही पांच या अधिक व्यक्तियों के द्वारा लूट का प्रयत्न किया जाता है , डकैती का अपराध कारित हो जाता है । उनकी दोषसिद्धि के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उनका प्रयत्न सफल हो । यदि लूट का प्रयत्न सफल होता है तो डकैती का अपराध कारित होता है , और यदि लूट का प्रयत्न सफल नहीं होता तो भी डकैती का ही अपराध कारित होता है ।
कुशी महती बनाम राज्य A.I.R. 1980 s.c. 788 जहाँ अभियुक्तों ने चोरी द्वारा अभिप्राप्त सम्पत्ति को ले जाने में पटाखे छोड़े ताकि लोग डरकर उनका पीछा करना समाप्त कर दें , यह अभिनिर्धारित किया गया कि वे डकैती के दोषी थे ।
रघुनाथ बनाम एम्प . (1892) 15 इलाहाबाद 22 जहां गायों का वध रोकने के लिए कई हिन्दुओं ने एक मुसलमान की दो गायें और एक बैल को बलपूर्वक हटा लिया , इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि वे केवल बलवा करने के दोषी थे , डकैती के नहीं परन्तु इस निर्णय के अगले ही वर्ष उसी न्यायालय ने इस निर्णय से असहमति प्रकट की , और यह अभिनिधारित किया कि वह निर्णय केवल उस मामले के तथ्यों तक ही सीमित था ।
रामबरन बनाम एम्प . (1893) 15 इलाहाबाद 299 जहाँ अधिक संख्या में हिन्दुओं ने अपनी धार्मिक भावनाओं के अन्तर्गत संयुक्त होकर उन मुसलमानों पर हमला किया जो एक लोकमार्ग से होकर पशु ले जा रहे थे , और उन्होंने बलपूर्वक उनसे कब्जा छीन लिया , यह अभिनिर्धारित किया गया कि चूँकि डकैती के अपराध के सभी आवश्यक तत्व विद्यमान हैं इसलिए वे डकैती के लिए दोषी थे ।
किसोरी पतार बनाम एम्प . (1867 ) 7 w.r.(cri.) 35 किसी घर के निवासियों को पूर्व में ही यह पता चल गया कि डकैत उनके घर पर हमला करने वाले थे , और इसलिए सभी निवासी डर कर उस घर से चले गए और अभियुक्तों ने उस घर पर हमला किया और सम्पत्ति लेकर चले गए यह अभिनिर्धारित किया गया कि यह तथ्य कि निवासी वहाँ से भाग गए थे उपहति या सदोष अवरोध के भय का सबूत था ,और इसलिए अभियुक्त डैकेती के लिेए दोषी थे ।