386 IPC IN HINDI
386 IPc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words जो कोई किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या उससे संम्बध रखने वाले किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु(death) या घोर उपहति(hurt ) की धमकी देकर डर मे डालकर उद्दापन ( Extortion 383 IPC देखे ) कर लेगा, वह दंडित किया जाएगा।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
386 IPC किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालकर उद्दापन- जो कोई किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालकर उद्दापन करेगा . वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
इस धारा के अधीन अपराध
संज्ञेय ,
अजमानतीय ,
अशमनीय है ,
प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।
टिप्पणी
जो कोई किसी व्यक्ति को या तो स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालकर उद्दापन करेगा , वह दस वर्ष तक के सादा या कठिन करावास से दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । इस धारा के अन्तर्गत अभियुक्त के द्वारा उद्दापन कारित करना आवश्यक है , और ऐसा करने में किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालना भी आवश्यक हैं । फिरौती के लिए व्यपहरण और अपहरण को इसी धारा के अधीन दंडनीय अभिनिर्धारित किया गया है
रामचन्द्र बनाम राज्य 1957 क्रि ० एल ० जे ० 559 ( एस ० सी ० )
जहां फिरौती की राशि का भुगतान व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति के द्वारा मृत्यु या घोर उपहति के भय में किया गया । है । यह एक गम्भीर अपराध है , यह इस धारा के अधीन कारावास की अवधि से ही स्पष्ट है ।