385 IPC IN HINDI

385 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: जो कोई उद्दापन(Extortion) करने के प्रत्यन करते समय किसी व्यक्ति को किसी क्षति (शारीरिक, मानशिक,ख्याति,सम्पति सम्बधित नुकसान)के पहुंचाने के भय(डर) में डालेगा या भय में डालने का प्रयत्न करेगा, वह दंडित किया जाएगा।

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

 

385 IPC उद्दापन (extotion ) करने के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना – जो कोई उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को किसी क्षति के पहुँचाने के भय में डालेगा या भय में डालने का प्रयत्न करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , या दोनों से , दण्डित किया जायेगा ।

 संज्ञेय ,

जमानतीय और

( समझौता नही हो सकता है )अशमनीय है ,

यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

टिप्पणी

 इस धारा के अन्तर्गत किसी को क्षति पहुंचाने के भय में डालना या भय में डालने के प्रयत्न करने को एक समान समझा गया है , और यह भी आवश्यक नहीं है कि उद्दापन किया जाय , क्योंकि इस धारा में ” उद्यापन करने के लिए शब्दों का प्रयोग किया गया है । जहाँ एक आपराधिक मामले में एक मुख्तियार ने धन उद्यापित करने के आशय से अभियोजन पक्ष के साक्षियों से ऐसे कलंकात्मक , अशिष्ट और असंगत प्रश्न पूछने का भय डाला जिनका आशय उन्हें क्षोभ और बदनाम करना होगा , उसे इस धारा के अधीन दंडित किया गया । जहाँ एक पुलिस अधिकारी पर परिवादी ने धन उद्दापित करने के लिए अभियुक्त को दुष्प्रेरित करने का आरोप था , यह अभिनिर्धारित नहीं किया जा सकता था कि उसने ऐसा अपने पदीय हैसियत में किया था , और इसलिए उसके अभियोजन के लिए दंड प्रक्रिया संहिता , 1973 की धारा 197 के अधीन सरकार की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता नहीं है ।

 

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