382 IPC IN HINDI

382 ipc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: चोरी करने के लिये मृत्यु, उपहति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी-  जो कोई चोरी करने के लिये, या बाद मे निकाल भागने के लिये, या चोरी की संपत्ति को रखने की लिये,

किसी व्यक्ति की मृत्यु करने या उसे उपहति (319 ipc) या उसकों रुकावट डाल ने के लिए, की वह अपनी सम्पति को चोरी होने से रोक न सके की तैयारी करके या इन सब के लिेए केवल डराने की भी तैयारी करके चोरी करेगा, कठिन कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

                                                                             

382 ipc  चोरी करने के लिए मृत्यु उपहति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी – जो कोई चोरी करने के लिए , या चोरी करने के पश्चात् निकल भागने के लिए , या चोरी द्वारा ली गई सम्पत्ति को रखने के लिए किसी व्यक्ति की मृत्यु या उसे उपहति या उसका अवरोध ( कारित करने की , या मृत्यु का उपहति का या अवरोध का भय कारित करने की तैयारी करके चोरी करेगा , वह कठिन कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

दृष्टांत-

( क ) य के कब्जे में की सम्पत्ति पर क चोरी करता है और यह चोरी करते समय अपने पास अपने वस्त्रों के भीतर एक भरी हुई पिस्तौल रखता है , जिसे उसने य द्वारा प्रतिरोध किए जाने की दशा में य को उपहति करने के लिए अपने पास रखा था । क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।

( ख ) क , य की जेब काटता है , और ऐसा करने के लिए अपने कई साथियों को अपने पास इसलिए नियुक्त करता है कि यदि य यह समझ जाए कि क्या हो रहा है और प्रतिरोध करे , या क को पकड़ने का प्रयत्न करे , तो वे य का अवरोध करे । क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।


टिप्पणी

चोरी करने के लिए मुत्यु उपहति या अवरोध कारित की तैयारी के पश्चात चोरी इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है | इसके अनुसार, जो कोई या तो चोरी करने के लिये, या चोरी करने के पश्चात् निकाल भागने के लिये, या चोरी द्वारा ली गयी संपत्ति को रखने के लिये, किसी व्यक्ति की मृत्यु या उसे उपहति या उसका अवरोध कारित करने की, या मृत्यु का, उपहति का, या अवरोध का भय कारित करने की तैयारी करके चोरी करेगा, वह दस वर्ष तक के कठिन कारावास

से दंडित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीए होगा | दोनों दृष्टान्त धारा को भली प्रकार स्पष्ट करते है | इस धारा में और धारा 390 में चोरी कब लूट है के अंतर्गत प्रयुक्त भाषा में थोड़ी सी समानता है | धारा 382 में यह साबित किया जाना चाहिये कि अपराध ने मृत्यु, उपहति या इनमें से किसी-किसी का भी भय कारित करने कि तैयारी करके चोरी करने के लिये या चोरी करने के पश्चात् निकाल भागने के लिये, या चोरी द्वारा ली गयी संपत्ति को  रखे रखने के लिये, चोरी का अपराध किया | इस धारा के अधीन सादा कारावास की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस तथ्य से एवं कठिन कारावास की अवधि से यह स्पष्ट है कि इस धारा अधीन अपराध गंभीर है | अपने पास एक चाकू रखकर, अवश्यकता होने पर जिसका उपभोग किया जा सकता हो, चोरी करना इस धारा के अधीन दंडनीए है | परन्तु यदि अपराधी चाकू का प्रयोग चोरी करते हुए करता है तो वह लूट के लिए दंडनीए होगा | इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, अजमानतीय है और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है |

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