380 IPC IN HINDI
380 ipc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: निवास-गृह आदि में चोरी- जो कोई ऐसे किसी निर्माण, तम्बू या जलयान मे चोरी करेगा,जो निर्माण, तम्बू या जलयान मानव के रहने खाने सोने आदि के रूप में, या संपत्ति की रखने या आयात निर्यात या सुरक्षित रखने के लिए उपयोग मे आता हो ,
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
380 ipc निवास-गृह आदि में चोरी- जो कोई ऐसे किसी निर्माण, तम्बू या जलयान मे चोरी करेगा,जो निर्माण, तम्बू या जलयान मानव निवास के रूप में, या संपत्ति की अभिरक्षा के लिए उपयोग मे आता हो ,वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा, और जुर्माना से भी दण्डनीय होगा |
संज्ञेय | संज्ञेय |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | सभी मजिस्ट्रेट के लिए |
समझौता | नही किया जा सकता |
टिप्पणी
निवास-गृह में चोरी इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है | इसके अनुसार, जो कोई ऐसे किसी निर्माण, तंबू या जलयान के रूप में चोरी करेगा, जो मानव निवास के रूप में, या संपत्ति की अभिरक्षा के लिये ऊपयोग मे आता हो, वह दोनों मे से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जायेगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा |
संहिता की धारा 103 में प्रयुक्त भाषा के एक भाग को धारा 380 में भी प्रयुक्त किया गया है,`निर्माण` शब्द का अर्थ किसी प्रकार के स्थायी भवन से है | इस शब्द का `तम्बू और `जलयान` शब्दों के साथ प्रयोग यह दर्शाता है, कि लिसी प्रकार का एक वस्तु होना चाहिये जिसका आशय उसमें निवास करने वाले व्यक्तियों या या वहाँ रकही गयी संपत्ति को कुछ सुरक्षा प्रदान करना हो |
जहाँ अभियुक्त ने, जिसने कुछ अन्य व्यक्तियों की तरह किसी ऐसी भूमि के भाग पर जिसके बारे में अधिग्रहण सम्बन्धी कार्यवाहियाँ पूर्व से चल रही थीं, अपना टेण्डर भेजा था, अधिग्रहण की कार्यवाहियाँ बंद हो जाने और उसका टेण्डर स्वीकार किये जाने के पूर्व ढाँचे को नष्ट कर सामग्री हट ली, यह अभिनिर्धारित कीय गया है कि इस धारा के अधीन अपराध कारित किया गया परंतु जहाँ एक नगरपालिका परिषद ने न्यायालय के व्यादेश के विपरीत याची के लड़की के स्टाल को हट दिया, यह अभिनिर्धारित किया गया कि धारा इसलिये लागू नही होगी क्योंकि परिवादी ने स्वय यह स्वीकार किया था कि उस पर नोटिस तामिल किये जाने के पश्चात ही ऐसा किया गया था, और इसलिये बलपूर्वक और अधिकारिता के बिना कार्य करने का आवश्यक रूप यह अर्थ नही होता कि कार्य बेईमानी से किया गया |