376E IPC IN HINDI

376 E/ड  ipc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: जो कोई, धारा 376 या धारा 376-क या (धारा 376-कख या धारा 376-घ या धारा 376-घक या धारा 376-घख) के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए पूर्व में दंडित किया गया है और इसके बाद दुबारा उक्त धाराओं में से किसी के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए सिद्धद्धोष ठहराया जाता है,तो वह आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा ।

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

                                                                                     

376E  ipc  पुनरावृत्तिकर्ता अपराधियों के लिए दण्ड- जो कोई, धारा 376 या धारा 376-क या (धारा 376-कख या धारा 376-घ या धारा 376-घक या धारा 376-घख) के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए पूर्व में दंडित किया गया है और तत्पश्चात् उक्त धाराओं में से किसी के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए सिद्धद्धोष ठहराया जाता है, आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा ।

संज्ञेय संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही)
जमानत गैर जमानतीय
विचारणीय सत्र न्यायालय
समझौता नही किया जा सकता

टिप्पणी

          दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 द्वारा प्रतिस्थापित इस धारा के अपुसार, धाराओं 376 या 376-376-कख या 376-घ या 376-घक या 376-घख के अधीन पूर्व में दण्डित कोई व्यक्ति यदि पुनः इन धाराओं में किसी धारा के अधीन सिद्धद्धोष किया जाता है तो वह न्यूनतम आजीवन कारावास, जिसका अर्थ उस व्यक्ति का शेष प्राकृत जीवनकाल है और अधिकतम मृत्यु दण्ड से दण्डित किया जायेगा ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय ओर अजमानतीय है और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।

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