370 IPC IN HINDI

370 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: जो कोई किसी व्यक्ति या व्यक्तिों कों बेचने-खरीदने, तस्करी का व्यापार करेगा ताकि शारीरिक शोषण कराने के लिए, गुलाम बनाना या गुलाम जैसा व्यवहार, बान्दी बनाने या अंगों का निकलाना भी है ताकि अंगों को बेचा जा सके और ऐसा करने के लिए

धमकियों या बल ( 349 ipc ) या किसी भी प्रकार के दबाव या जबरदस्ती का प्रयोग करके या अपहरण ( 364 ipc ) द्वारा या छल कपट और क्षति का प्रयोग करके या बहलाने फुसलाने के द्वारा ,या शक्ति का दुरुपयोग करके या बहकाने या उकसाने के द्वारा,

जिसके अंतर्गत ऐसे किसी व्यक्ति की, जिसे  भर्ती करता है तस्करी के लिए , तस्करों  को मदद देता  है किसी साधन द्वारा लाए ले जाए गए, या भेजता है या खुद के पास के व्यक्ति पर नियंत्रण रखता है,सहम्मति प्राप्त करने के लिए धन या फायदे देना या प्राप्त करना भी आती है,

तस्करी (व्यक्ति का दुर्व्यापार) के अपराध के अवधारण में पीड़ित की सम्मति होना महत्वहीन है। यह कह देना की पीड़ित की सहमति थी ऐसी तस्करी के अपराध की दोषसिद्धि से बचा नही सकती है ।

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

 

370 IPC व्यक्ति का दुर्वयापार- (1) जो कोई, शोषण के प्रयोजन के लिए-

पहला- धमकियों का प्रयोग करके; या

दूसरा-  बल या किसी भी अन्य प्रकार के प्रपीड़न का प्रयोग करके: या

तीसरा- अपहरण द्वारा; या

चौथा-  कपट का प्रयोग करके या प्रवंचना द्वारा; या

पाँचवां- शक्ति का दुरुपयोग करके; या

छटवां- उत्प्रेरणा द्वारा, जिसके अंतर्गत ऐसे किसी व्यक्ति की, जो भर्ती किए गए, परीवहनित, संश्रित, स्थानांतरित या ग्रहीत व्यक्ति पर नियंत्रण रखता है, सम्मति प्राप्त करने के लिए भुगतान या फायदे देना या प्राप्त करना भी आती है,

किसी व्यक्ति या किन्ही व्यक्तियों को (क) भर्ती करता है (ख) परिवहानित करता है, (ग) संश्रय देता है, (घ) स्थानांतरित करता है, या (ड) ग्रहीत करता है, वह दुर्व्यापार करता है |

स्पष्टीकरण 1.- “शोषण” पद के अंतर्गत शारीरिक शोषण का कोई क्रत्य या किसी प्रकार लैंगिक शोषण, दासता या दासता के समान व्यवहार, अधिसेविता या अंगों का बलात् अपसरण भी है |

स्पष्टीकरण 2.- दुर्व्यापार के अपराध के अवधारण में पीड़ित की सम्मति महत्वहीन है|

(2) जो कोई दुर्व्यापार का अपराध करेगा वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनिय होगा |

(3) जहां अपराध में एक से अधिक व्यक्तियों का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वहाँ वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से काम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा |

(4) जहां अपराध मैं किसी अवयस्क का दुर्व्यापार अन्तर्वलित है, वहाँ वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से काम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माना से भी दड़नीय होगा |

(5) जहां अपराध में एक से अधिक अवयस्कों का दुर्व्यापार अन्तर्वलित है, वहाँ वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष से काम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माना से भी दंडनीय होगी |

(6) यदि किसी व्यक्ति को अवयस्क का एक से अधिक अवसरों पर दुर्व्यापार किए जाने के अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है तो ऐसे व्यक्ति आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राक्रत जीवन काल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा |

(7) जहां कोई लोक सेवक या कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति के दुर्व्यापार में अंतर्वलित है, वहाँ ऐसा लोक सेवक या पुलिस अधिकारी को आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राक्रत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा |]

 

टिप्पणी

     

इसकी उपधारा (1) के अनुसार, जो कोई, शोषण के प्रयोजन के लिये, धमकियों का प्रयोग करके या बल या किसी भी अन्य प्रकार के प्रपीडन का प्रयोग करके, या अपहरण द्वारा, या कपट का प्रयोग करके या प्रवंचना द्वारा, या शक्ति का दुरुपयोग करके, या उत्प्रेरणा द्वारा, जिसके अन्तर्गत ऐसे किसी व्यक्ति की, जो भर्ती किये गये, परिवहनित, संश्रित, स्थानांतरित या ग्रहत व्यक्ति पर नियंत्रण रखता है, सम्मति प्राप्त करने के लिये भुगतान या फायेदे  देना या प्राप्त करना भी आता है, किसी ब्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों कोई भर्ती करता है, परिवहनित करता, संश्रय देता है, स्थानांतरित करता है, या ग्रहीत करता है, वह दुर्व्यापार का अपराध करता  है | इस धारा में दो स्पष्टीकरण भी दिये गये हैं जिनमें से पहले के अनुसार शारीरिक शोषण का कोई क्रत्य, किसी प्रकार का लैंगिक शोषण, दासता, दासता के सामने व्यवहार, अधिसेविता या अंगों का बलात् अपसारण भी शोषण के अन्तर्गत आता है | दूसरे स्पष्टीकरण के अनुसार, दुर्व्यापार के अपराध के अवधारण में पीड़ित की सम्मति का कोई महत्व नहीं है | इस धारा की उपधाराओं (2) से (7) तक इस अपराध के दण्ड की व्यवस्था करते हैं | (2) के अनुसार, इस अपराध के लिये न्यूनतम दण्ड सात वर्ष और अधिकतम दस वर्ष कठोर कारावास है, और यह जुर्माने से भी दण्डनीय है | उपधार (3) जे अनुसार, अपराध में एक से अधिक व्यक्तियों का दुर्व्यापार अन्तर्वलित होने पर न्यूनतम दस वर्ष का कठोर कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास की व्यवस्था है और साथ ही यह जुर्माने से भी दण्डनीय है | उपधारा (4) के अनुसार, अवयस्क के दुर्व्यापार की अवस्था में न्यूनतम दस वर्ष का कठोर कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास की व्यवस्था है और साथ ही यह जुर्माने से भी दण्डनीय है | उपधारा (5) के अनुसार, एक से अधिक अवयस्कों के दुर्व्यापार की अवस्था में न्यूनतम चौदह वर्ष का कठोर कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास की व्यवस्था है और साथ ही यह जुर्माने से भी दण्डनीय है | उपधारा (6) के अनुसार, एक से अधिक अवसरों पर अवयस्क का दुर्व्यापार करने के सिद्धदोष होने पर आजीवन कारावास, जिसका अर्थ शेष प्राक्रत जीवनकाल के लिये कारावास है, की व्यवस्था है और यह जुर्माने से भी दण्डनीय है | उपधारा (7) के अनुसार, किसी व्यक्ति के दुर्व्यापार में लोक सेवक या पुलिस अधिकारी के अन्तर्वलित होने की अवस्था में आजीवन कारावास, जिसका अर्थ शेष प्राक्रत जीवन काल के लिये कारावास है, की व्यवस्था है और यह जुर्माने से भी दण्डनीय है |

संज्ञेय संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही)
जमानत गैर जमानती
विचारणीय सैशन  न्यायालय
समझौता नही किया जा सकता

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