368 IPC IN HINDI
368 ipc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: : व्यापहृत या अपहृत व्यक्ति को सदोष छिपाना या परिरोध में रखना-जो कोई यह जानते हुए कि कोई व्यक्ति जिसका व्यपहरण ( 359 ipc ) या अपहरण (362 ipc) किया गया है, ऐसे व्यक्ति को विधि विरुद्ध साधनों से छिपाएगा या किसी स्थान में बंद रखेगा, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा माना जाएगा की उसने उसी इरादे से या जानकारी रखते हुए या ऐसे प्रयोजन से ऐसे व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण किया हो जो व्यपहरण या अपहरण करने वाले अपराधियों का था
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
368 ipc व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को सदोष छिपाना या परिरोध में रखना – जो कोई यह जानते हुए की कोई व्यक्ति व्यपहृत या अपहृत किया गया है , ऐसे व्यक्ति को सदोष छिपाएगा या परिरोध में रखेगा , वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा मानो उसने उसी आशय या ज्ञान या प्रयोजन से ऐसे व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण किया हो जिससे उसने ऐसे व्यक्ति को छिपाया या परिरोध में निरुद्ध रखा है । टिप्पणी
यह धारा उस समय लागू होती है जब किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण किया गया है । इसका ज्ञान अभियुक्त को है और वह इस ज्ञान के होते हुए भी वह उस व्यक्ति को छिपाता या परिरोध में रखता है । ऐसे अभयुक्त को ऐसे ही दंडित किया जाएगा मानो उसने स्वयं ने ही उसी आशय या ज्ञान या परियोजन से ऐसे व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण किया हो जिस आशय या ज्ञान या परियोजन से उसने ऐसे व्यक्ति को छिपाया या परिरोध में निरुद्ध रखा है । यह धारा उस व्यक्ति का दायित्व अधिरोपित करता है जो किसी व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को जानते हुए छिपाने या परिरोध करने में सहयोग देता है ; यह व्यपहर्ता या अपहर्ता पर लागू नहीं होता । जहां अभियुक्त को इस बात की जानकारी नहीं है की पीड़ित को व्यपहृत उआ अपहृत किया गया है , यह धारा लागू नहीं होगी ,
जहां एक अस्पताल से द्वितीय अभियुक्त ने एक नवजात शिशु को चुरा लिया और अंशत: वह शिशु प्रथम अभियुक्त के कमरे में उसके साथ एक बिस्तर में लेता हुआ पाया गया , और उस समय द्वितीय अभियुक्त भी उस कमरे में था , यह अभिनिर्धारित किया गया की इस धारा के अधीन प्रथम अभियुक्त की दोषसिद्धि सही थी । जहां सहअभियुक्त की पत्नी को बेचने में अभियुक्त की सह अपराधिता साक्ष्य साबित हो गई , और क्रेता ने उसके साथ बलातसंग कर उसकी हत्या कर दी, अभियुक्त को इस धारा के अधीन दोषसिद्ध किया गया ।
संज्ञेय | संज्ञेय |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | यह उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा व्यपहरण या अपहरण विचारणीय है । |
समझौता | नही किया जा सकता |