366B IPC In Hindi
366B IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: जो कोई इक्कीस वर्ष से कम आयु की किसी विदेश लड़की को (भारत के बाहर के किसी देश से) या जम्मू कश्मीर राज्य से जबरदस्ती लाएगा या खरीदेगा इस आशय से ताकि उसे किसी अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग( illicit sexual intercourse ) (धारा 372 का स्पष्टीकरन 2 देखे ) (जबरन शारीरिक संबंध ) बनाने के लिए जबकि वो विवाह संबंध मे नही है उस स्त्री को मजबूर ( forced ) करेगा या बहकायगा (seduced ) और ये जानते हुए करेगा
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
366B IPC विदेश से लड़की का आयात करना
जो कोई इक्कीस वर्ष से कम आयु की किसी लड़की को भारत के बाहर के किसी देश से या जम्मू कश्मीर राज्य से आयात , उसे किसी अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा वह विवश या विलुब्ध की जाएगी , यह संभाव्य जानते हुए करेगा , वह कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
टिप्पणी
इक्कीस वर्ष से कम आयु की लड़की का आयात करना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है । इसके अनुसार , जो इक्कीस वर्ष से कम आयु की किसी लड़की का भारत के बाहर के किसी देश से , या जम्मू-कश्मीर राज्य से , आयात , उसे किसी अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से , या तद्द्वारा वह विवश या विलुब्ध की जाएगी , इस संभावना को जानते हुए , करेगा , वह दस वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
इस धारा के अधीन लड़की का आयात या तो भारत के बाहर के किसी देश से या जम्मू-कश्मीर राज्य से किया गया होना चाहिए । लड़की की आयु इक्कीस वर्ष से कम होना आवश्यक है । अभियुक्त का आशय उसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ अयुक्त संभोग करने की लिए विवश या विलुब्ध करना होना चाहिए , या अभियुक्त को इस बात का ज्ञान होना चाहिए की इस बात की संभावना है की तद्द्वारा वह अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध की जाएगी ।
भारतीय दंड संहिता में धाराओं 366-क और 366-ख को भारतीय दंड संहिता (संशोधन) अधिनियम , 1923 द्वारा 1910 में पेरिस में हस्ताक्षर किए गए , ‘इंटरनेशनल कन्वेन्शन फॉर द सप्रेशन ऑफ द ट्रैफिक इन विमन एण्ड चिल्ड्रन’ के कतिपय अनुच्छेदों को प्रभाव दिए जा सकने के प्रयोजन से जोड़ा गया । धारा 366-क की तरह ही इस धारा के अधीन भी कारावास सादा है या कठिन इस बात का उल्लेख यह धारा नहीं करती , और यह बात इस धारा में एक कमी है ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , अजमानतीय और आशमनीय है , और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
समझौता | नही किया जा सकता |