366 IPC IN HINDI
366 ipc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: स्त्री की इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती शादी आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहरण करना , अपहरण करना या उत्प्रेरित करना–जो कोई किसी स्त्री का व्यपहरण (kidnapping धारा 359) या अपहरण (Abduction धारा 362) उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती इस इरादे से करेगा की किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को मजबूर करेगा या अयुक्त संभोग ( illicit sexual intercourse )(धारा 372 का स्पष्टीकरन 2 देखे ) (जबरन शारीरिक संबंध ) बनाने के लिए जबकि वो विवाह संबंध मे नही है उस स्त्री को मजबूर ( forced ) करेगा या बहकायगा (seduced ) या इसकी संभावना को जानते हुए करेगा की उसके साथ आपराधिक अभित्रास ( 501 ipc criminal intimidation )द्वारा अथवा प्राधिकार के दुरुपयोग ( 376 C ipc ) के लिय वह मजबूर करेगा या बहकायगा , या विवश करने के अन्य साधन द्वारा उस स्त्री को किसी स्थान से ले जाने को उकसायगा, वह दंडित किया जाएगा 366 के अनुसार ।
Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।
366 ipc विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना , अपहृत करना या उत्प्रेरित करना – जो कोई किसी स्त्री का व्यपहरण या अपहरण उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या वह विवश की जाएगी , यह संभाव्य जानते हुए अथवा संयुक्त संभोग करने के लिए उस स्त्री को विवश या विलुब्ध करने के लिए या वह स्त्री अयुक्त संभोग करने के लिए विवश ( forced ) या विलुब्ध (seduced )की जाएगी , यह संभाव्य जानते हुए करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा , और जो कोई किसी स्त्री को किसी अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या वह विवश ( forced ) या विलुब्ध (seduced )की जाएगी , यह संभाव्य जानते हुए इस संहिता में यथापरिभाषित आपराधिक अभित्रास ( 501 ipc criminal intimidation )द्वारा अथवा प्राधिकार के दुरुपयोग ( 376c abuse of authority ) या विवश करने के अन्य साधन द्वारा उस स्त्री को किसी स्थान से ले जाने को उत्प्रेरित करेगा , वह भी पूर्वोक्त प्रकार से दंडित किया जाएगा ।
संज्ञेय | संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही) |
जमानत | गैर जमानतीय |
विचारणीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
समझौता | नही किया जा सकता |
366 आईपीसी से सम्बन्धित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय
1 , प्रफुल्ल कुमार बसु बनाम एम्प ० , ( 1929 ) 57 कलकत्ता 1074 : सुप्पैया बनाम एम्प ० ए ० आई ० आर ० 1930 मद्रास 980. और रमेश बनाम राज्य , ( 1963 ) 1 क्रि ० एल ० जे ० 16 ( एस ० सी ० ) विलुब्ध ‘ शब्द का अर्थ है बहकाना , प्रलोभन देना , बहकाकर बुराई को लाना , अलग खींचना , पथभ्रष्ट करना , अनौचित्य की ओर ले जाना , या स्वयं को सौंप देना । फलतः , यह केवल प्रथम बार के सम्भोग तक ही या प्रथम बार अपना सतीत्व सौंप देने तक ही सीमित नहीं है
2 .अब्दुल बनाम एम्प ० , 1933 क्रि ० एल ० जे ० 100 ( इलाहाबाद ) . अभियुक्त ने पीड़ित के घर के निकट एक खेत में उसके साथ सम्भोग किया , परन्तु उस बालिका को अपने साथ ले जाने का उसका कोई आशय नहीं था , यह अभिनिर्धारित किया गया कि वह धारा 366 के अधीन दोषी नहीं था
3 . गुरचरण सिंह बनाम राज्य , 1972 एस ० सी ० सी ० ( क्रि ० ) 793, अभियोक्त्री , जो सोलह वर्ष की एक अप्राप्तवय बालिका थी , को पहले प्रलोभन देकर दो स्त्रियों के द्वारा ले जाया गया और अभियुक्त के पास लाया गया , जो फिर पिस्तौल की नॉक पर उसे अन्यत्र ले गया और उसने उसके साथ बलात्संग किया , यह अभिनिर्धारित किया गया कि अभियुक्त धाराओं 366 और 376 के अधीन दोषी था ।
4 .हरिराम बनाम राज्य , 1991 एस ० सी ० सी ० ( क्रि ० ) 1071 . परन्तु जहां अभियुक्त अभियोक्त्री को खुले रूप में कई दिनों तक कई स्थानों में ले जाता रहा , और अभियोक्त्री के पास विरोध प्रकट करने के कई अवसर आये पर उसने कभी विरोध प्रकट नहीं किया , उच्चतम न्यायालय ने इस धारा के अधीन अभियुक्त की दोषसिद्धि अभिखंडित कर दी
5 . शचीन्द्र नाथ बनाम विष्टुपद दास , 1978 क्रि ० एल ० जे ० 1494 ( एस ० सी ० ) एक अप्राप्तवय बालिका ने अपने पिता का घर स्वेच्छया छोड़ा , और अभियुक्त की ओर से कोई उत्प्रेरण या प्रलोभन के बिना वह उसके साथ चली गयी , और तब उन दोनों ने विवाह कर लिया , यह अभिनिर्धारित किया गया कि धारा 363 या धारा 366 लागू नहीं होगी
6 . राज्य बनाम सुलेख चन्द , ए ० आई ० आर ० 1964 पंजाब 83 , अभियुक्त एक अप्राप्तवय बालिका को उसके विधिपूर्ण संरक्षक की संरक्षकता में से संरक्षक की सम्मति के बिना धारा 366 में उल्लिखित आशय से ले गया , यह अभिनिर्धारित किया गया कि इस तथ्य के होते हुए भी कि बालिका उसके साथ स्वेच्छया गयी , किसी बल या दुर्व्यपदेशन के कारण नहीं , वह धारा 366 के अधीन दोषी है 16
7 . लालता प्रसाद बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1979 एस ० सी ० 1276 अभियुक्त किसी बालिका को इसलिये नहीं ले गया कि उसकी इच्छा के विरुद्ध वह उससे विवाह करें , या सम्भोग के लिये उसे विलुब्ध करे , और बालिका उस समय अभियुक्त के साथ विवाह करना चाहती थी , यह अभिनिर्धारित किया गया कि यह धारा लागू नहीं होगी
8. अरुण कुमार बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1989 एस ० सो ० 1445 , अपने सत्तर वर्षीय ससुर के साथ जिसके पांचों पुत्रों की मृत्यु हो गयी थी , एक पवित्र स्थान से लौटते समय एक युवा विधवा को दो अभियुक्त पकड़कर सड़क के किनारे झाड़ियों के पीछे ले गये और वहां उन्होंने उसके साथ बलात्संग किया , जबकि तीसरा अभियुक्त ससुर को पकड़े खड़ा रहा , न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि धारा लागू होती है , यद्यपि उस विधवा का शव कभी नहीं मिला ।
9. ओम प्रकाश बनाम राज्य , 1988 क्रि ० एल ० जे ० 1606 ( पंजाब और हरियाणा ) एक अठारह वर्षीया बालिका कुछ धन और गहने लेकर अपने पिता के घर को उस समय छोड़ कर चली गयी जब उसके पति घर में नहीं थे , और वह अभियुक्त के साथ हो ली , और वे विभिन्न स्थानों पर जाते रहे , और इस बीच उन दोनों ने कई बार सम्भोग किया , यह अभिनिर्धारित किया गया कि अभियुक्त इस धारा के अधीन दोषी नहीं
10. प्यारेलाल बनाम राज्य , ए ० आई ० आर ० 1987 एस ० सी ० 852 कुछ अपहर्ताओं ने एक बालिका का अपहरण कर उसे विवश कर उसका विवाह करने के लिये अन्य व्यक्ति को सौंप दिया , जिसने उसके साथ बलात्संग कर उसकी हत्या कर दो , यह अभिनिर्धारित किया गया कि अपहर्तागण इस धारा के अधीन अपराध के दुष्प्रेरण के दोषी होने के कारण धारा 109 के साथ धारा 366 के अधीन दंडनीय थे , परन्तु बलात्संग कर हत्या करने वाले व्यक्ति को दंडित नहीं किया जा सका क्योंकि वह कौन व्यक्ति था यह साबित नहीं किया जा सका ।
11 . श्रीमती पौड़ी बनाम एम्प ० , ( 1864 ) डब्ल्यू ० आर ० ( क्रि ० ) 45 एक महिला दलाल ने एक बीस वर्षीया विवाहिता स्त्री को वेश्या बनने के लिये उत्प्रेरित किया , और उस विवाहिता स्त्री ने जानबूझकर कलकत्ता जाकर वहां वेश्या बनना तय किया , यह अभिनिर्धारित किया गया कि यह धारा लागू नहीं होगी क्योंकि न तो उस स्त्री को जाने के लिये विवश किया गया था और न ही उसे अयुक्त सम्भोग के लिये विलुब्ध किया गया , परन्तु दलाल ने धारा 498 के अधीन अपराध कारित किया ।
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