365 IPC IN HINDI

365  ipc Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words:जो कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को ऐसे गुप्त तरीके से कैद करने का आशय रखते हुए व्यपहरण (kidnapping धारा 359) या अपहरण (Abduction धारा 362) करेगा (अर्थात यह व्यक्ति इस काम को ऐसे करता है कि किसी व्यक्ति को कानो कान खबर ना हो छुपते छुपाते) तो वह इस धारा के तहत दंडनीय होगा।                                                                                                                                                                                                                          

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें।

365 ipc  किसी व्यक्ति का गुप्त रीति से और सदोष परिरोध करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण – जो कोई इस आशय से किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण करेगा की उसका गुप्त रीति से और सदोष परिरोध किया जाए , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

दंड         7 साल + जुर्माना से वह दंडीत होगा।
संज्ञेय          संज्ञेय (गिरफ्तारी के लिए वॉरेंट आवश्यक नही)
जमानत गैर जमानतीय
विचारणीय प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
समझौता नही किया जा सकता

 

                                                                                                               टिप्पणी

किसी व्यक्ति का गुप्त रीति से और सदोष परिरोध करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार , जो कोई इस आशय से किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण करेगा की उसका गुप्त रीति से और सदोष परिरोध किया जाए , वह सात वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । जैस की इस धारा में प्रयुक्त भाषा से ही स्पष्ट है अभियोजन पक्ष द्वारा यह साबित किया जाना आवश्यक है की व्यपहर्ता या अपहर्ता का आशय पीड़ित का गुप्त रीति से और सदोष परिरोध करना था ।

पत्नी को अपने पिता का घर छोड़ने के लिए विवश करने के लिए पति के द्वारा उसके विरुद्ध बल का प्रयोग करना इस धारा के अधीन दंडनीय होगा और यदि वह पत्नी को अपने घर ले जाकर कहीं अंयत्र ले जाता है ताकि उसके माता पिता उसे ढूंढ न सके , तो यह धारा लागू होगी ।

जहां अपिलारथी सत्रह वर्षीय एक बालिका को बलपूर्वक टैक्सी में ले गई और उसके रोने-चिल्लाने पर उसने उसे एक मिश्रण खिला दिया जिससे वह अचेत हो गई , और वह उसे कई स्थानों पर ले गई एंव अंतत: वह बालिका भाग निकली और पुलिस थाने में पहुंची , यह अभिनिर्धारित किया गया की अपिलारथी धारा 365 के अधीन दोषी थी ।

तरुण बोरा बनाम असम राज्य में पीड़ित को अभियुक्त एक कार में ले गया और उसके तत्काल पश्चात उसकी आँखों पर पत्ती बांधकर उसे एक मकान में ले जाया गया जहां उसे तीन रातों के लिए परिरोधित किया गया । इस व्यपहरण के पृष्ट में हेतु यह था की वह अभीकथिक रूप से सेना को उल्फा के बारे में सूचनाएं दे रहा था । उच्चतम न्यायालय ने अभियुक्त को धारा 365 के अधीन दोषी ठहराया । न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया की चूंकि आतंकवादी और विध्वंसकारी (निवारण) अधिनियम , 1987 (टाडा) की धारा 3(5) का अस्तित्व घटना के पश्चात आया , अत: इस उपबंध के अधीन अभियुक्त को दोषसिद्धि नहीं की जा सकती ।

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