358 IPC In Hindi
358 IPC गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग – जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा दिए गए गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर करेगा , वह सादा कारावास से , जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी , या जुर्माने से, जो दो सौं रुपये तक का हो सकेगा , या दोनों से दंडित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण – अंतिम धारा उसी स्पष्टीकरण के अध्यधीन है जिसके अध्यधीन धारा 152 है ।
Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को उकसाता (Provoke) है या ऐसा कोई ऐक्ट करता है जिससे सामने वाला भड़क जाए और उकसाने वाले पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करदे तो हमला करने वाला इस धारा का दोषी हो सकेगा !
टिप्पणी
गम्भीर और अचानक प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है । इसके अनुसार , किसी व्यक्ति द्वारा गम्भीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर जो कोई उस पर हमला या आपराधीक बल का प्रयोग करेगा वह एक मास तक के सादा कारावास से , या दो सौं रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा । इस धारा के अधीन दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार यह स्पष्ट किया गया है की यह धारा संहिता की धारा 352 के अंतर्गत दिए गए स्पष्टीकरण के अध्यधीन है।
इस धारा के अधीन गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर अभियुक्त द्वारा प्रकोपन देने वाले व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया होना चाहिए । धार 352 के अंतर्गत दिया गया स्पष्टीकरण इस धारा पर लागू है । इसका अर्थ यह है की धारा 358 के अधीन किसी अपराध के दंड में कमी गम्भीर और अचानक प्रकोपन के कारण नहीं होगी यदि यह वह प्रकोपन अपराध करने के लिए प्रतिहेतु के रूप में अपराधी द्वारा ईप्सित या स्वेच्छया प्रकोपित किया गया हो , अथवा यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो विधि के पालन में , या किसी लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्ति के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो , अथवा यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो । प्रकोपन अपराध को कम करने के लिए प्रयाप्त गम्भीर और अचानक था या नहीं यह तथ्य का प्रशन है ।
धारा 358 के अधीन अपराध असंज्ञेय , जमानतीय और शमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।