354A IPC In Hindi

353A IPC  लैंगिक उत्पीड़न और लैंगिक उत्पीड़न के लिए दण्ड – (1) ऐसा कोई निम्नलिखित कार्य , अर्थात :-

()शारीरिक संपर्क और अग्रक्रियाएं करने , जिनमें अवांछनीय और लैंगिक सम्बन्ध बनाने संबंधी

स्पष्ट प्रस्ताव अन्तर्वलित हों ; या

()लैंगिक स्वीकृति के लिए कोई मांग या अनुरोध करने ; या

()किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध बलात अश्लील साहित्य दिखाना ; या

()लैंगिक आभासी टिप्पणियाँ करने ,

वाला पुरुष लैंगिक उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा ।

(2) ऐसा कोई पुरुष , जो उपधारा (1) के खंड (Ⅰ) या खंड (Ⅱ) या खंड (Ⅲ) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा , वह कठोर कारावास से , जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।

(3) ऐसा कोई पुरुष , जो उपधारा (1) के खंड (Ⅳ) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ]

Kanoon Ki Roshni Mien Words-: इस धारा मे ऊपर दिए गए 4 पॉइंट मे से कोई भी ऐक्ट अगर कोई व्यक्ति करता है तो इस धारा का अपराध करता है!

टिप्पणी

समाज में लैंगिक उत्पीड़न की निरंतर बदती हुई घटनाओं पर नियंत्रण करने के प्रयोजन से इस धारा के अधीन लैंगिक उत्पीड़न नामक नया अपराध गठित और दंडित किया गया हाई । इस धारा की पहली उपधारा के अनुसार ऐसा कोई निम्नलिखित कार्य , अर्थात (Ⅰ) शारीरिक संपर्क और अग्रक्रियाएं करने जिसमें अवांछनीय और लैंगिक संबंध बनाने संबंधी स्पष्ट प्रस्ताव अन्तर्वलित हो ; (Ⅱ) लैंगिक स्वीकृति के लिए कोई मांग या अनुरोध करने ; या (Ⅲ) किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध बलात अश्लील साहित्य दिखाने ; या (Ⅳ) लैंगिक आभासी टिप्पणियां करने वाला पुरुष लैंगिक उत्पीड़न का दोषी होगा । इस उपबंध द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है की लैंगिक उत्पीड़न के इस नये अपराध के लिए केवल पुरुष ही दोषी हो सकता है , कोई स्त्री नहीं । उपधारा (2) यह स्पष्ट करती है इस उपधारा (1) के अधीन खंड (Ⅰ) , (Ⅱ) और (Ⅲ) के अंतर्गत अपराध अधिक गंभीर होने के कारण इनमे अधिक दंड अर्थात , तीन वर्ष तक के कारावास की व्यवस्था है और साथ ही यह जुर्माने से भी , या दोनों से दंडनीय है । उपधारा (3) में स्पष्ट किया गया है की उपधारा (1) के अधीन खंड (Ⅳ) के अंतर्गत अपराध कम गंभीर होने के कारण इनमें एक वर्ष तक के कारावास की व्यवस्था है और साथ ही यह जुर्माने से भी , या दोनों से दंडनीय है ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय और जमानतीय है और कोई मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

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