353 IPC In Hindi
353 IPC लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग – जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति पर , जो लोक सेवक हो , उस समय जब वैसे लोक सेवक के नाते वह उसके अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो , या इस आशय से की उस व्यक्ति को वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करे या भयोपरत करे या या ऐसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रयतीत किसी बात के परिणाम स्वरूप हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।
Kanoon Ki Roshni Mien Words -: यह धारा बताती है की अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक यानि सरकारी कर्मचारी को जब वह ऑन ड्यूटी हो उसका कार्य करने से रोकेगा या उसपर हमला करने की कोशिश करके डराएगा या उस लोक सेवक पर हमला करेगा या बल ( Force ) का प्रयोग करेगा ऐसा करने वाला व्यक्ति एस धारा के तहत दंडनीय अपराध करता है !
टिप्पणी
लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग इस धारा के अधीन दंडनीय है । इसके अनुसार , जो कोई किसी लोक सेवक पर उस समय जब वह उस लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो , या इस आशय से की उसको वैसे लोक सेयवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करे या भयोपरत करे यस ऐसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रयतीत किसी बात के परिणाम स्वरूप हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा , वह दो वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से , या जुर्माने से , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।
इस धारा के अंतर्गत किसी लोक सेवक पर हमला किया गया होना चाहिए या आपराधिक बल का प्रयोग कीयस जाना चाहिए । ऐसा उसके लोक सेवक होने के नाते कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन से निवारित करने या भयोपरत करने या उस निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रयतीत किसी बात के परिणामत: किया गया होना चाहिए ।
जहां व्यवसायिक कर विभाग के अधिकारी ने अभियुक्त की दुकान पर अचानक निरक्षण कर कुछ लेखा रिकॉर्डों को देखा जिन्हे अभियुक्त ने उनके हानतों से छीन लिया , अभियुक्त इस धारा के अधीन दोषी है। जहां न्यायालय के एक अधिकारी ने बिना किसी प्राधिकार के गिरफ़्तारी के वारंट पर हस्ताक्षर कर दिए , ऐसे वारंट के निष्पादन का प्रतिरोध धाराओ 225-ख और 353 के अधीन दंडनीय नहीं है । कुर्की के अवेध आदेशों के विरुद्ध प्रतिरोध इस धारा के अधीन दंडनीय है ।
धारा 353 में प्रयुक्त शब्दों “की गई या की जाने के लिए प्रयतीत किसी बात के परिणाम स्वरूप” में ऐसा हेतु भी सम्मिलित है की जो लोक सेवक पर हमला कारने के लिए अभियुक्त को प्रवृत्त करता है ।
हरिभाऊ बनाम महाराष्ट्र राज्य में जिला परिषद प्राथमिक स्कूल के शिक्षक पर हमला करने के आरोप में अभियुक्त को सिद्धदोष किया गया । उसे तीन माह कारावास और आठ सों रुपये जुर्माने का दंडादेश दिया गया । उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया की घटना पुरानी है और एक क्षण में घटित हुई जब की अभियुक्त पूर्व में कभी आपराधिक गतिविधि में सम्मिलित नहीं रहा और एक माह कारावास वह भुगत भी चुका है , अत: कारावास की अवधि घटाकर उतनी कर दी गई जितनी वह भुगत चुका था और जुर्माने की राशि को बढ़ाकर पंद्रह हजार रुपये कर दिया गया ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , जमानतीय और शमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।