352 IPC In Hndi
352 IPC गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दंड – जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा गम्भीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर करने से अन्यथा करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , जो पाँच सो रुपये तक का हो सकेगा , या दोनों से दंडित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण – इस धारा के अधीन किसी अपराध के दंड में कमी गम्भीर और अचानक प्रकोपन के कारण न होगी , यदि वह प्रकोपन अपराध करने के लिए प्रतिहेतु के रूप में अपराधी द्वारा ईप्सित या स्वेच्छया प्रकोपित किया गया हो , अथवा
यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो विधि के पालन में , या किसी लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्ति के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो , अथवा
यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकारी के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो ।
प्रकोपन अपराध को कम करने के लिए प-रायप्त गम्भीर और अचानक था या नहीं , यह तथ्य का प्रश्न है ।
Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: यह धारा बताती है कि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को प्रकोपन (provoke) देता है यानि उकसाता और जिसको परोकपन दिया था वह व्यक्ति उस उकसाने वाले पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को एस धारा मे बचाओ मिलेगा लेकिन अगर उसको कोई गंभीर प्रकोपन (provoke) नही दिया था और उसने स्वयं ने हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया है तो वह दंडित किया जाएगा !
टिप्पणी
यह धारा गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दंड की व्यवस्था करती है । इसके अनुसार , जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा गम्भीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर करने से अन्यथा करेगा , वह तीन मास तक के सादा या कठिन कारावास से , या पाँच सो रुपये तक के जुर्माने से , या दोनों में से दंडित किया जाएगा । इस धारा के अधीन दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार , इस धारा के अधीन किसी अपराध के दंड में कमी , गम्भीर और अचानक प्रकोपन के कारण नहीं होगी यदि वह प्रकोपन अपराध कारेने के लिए प्रतिहेतु के रूप में अपराधी द्वारा ईप्सित या स्वेच्छया प्रकोपित किया गया हो , अथवा वह किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो विधि के पालन में या किसी लोक सेवक द्वारा उसकी शक्ति के विधिपूर्ण प्रायोग में की गई हो , अथवा वह किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकारी के विधिपूर्ण प्रयोग के रूप में की गई हो । स्पष्टीकरण के अंतर्गत काही गई बाते हत्या के सम्बन्ध में संहिता की धारा 300 के अंतर्गत गम्भीर और अचानक प्रकोपन से संबंधित प्रथम अपवाद के परंतुकों में उल्लिखित बातों के समान है । स्पष्टीकरण के अंतिम भाग में उल्लिखित इस बात का अर्थ की प्रकोपन अपराध को कम करने के लिए प्रयाप्त गम्भीर और अचानक था या नहीं यह तथ्य का प्रश्न है यह है की हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर ही यह निश्चित किया जा सकेगा की प्रकोपन ऐसा था अथवा नहीं और इसके लिए कोई सामान्य सिद्धांत नहीं हो सकता । यह बात भी धारा 300 के प्रथम अपवाद के स्पष्टीकरण के समान है । किसी बलपूर्वक अंगूठे का चिन्ह लेना इस धारा के अधीन अपराध होगा ।
इस धारा के दहीं अपराध आसंज्ञेय , जमानतीय और शमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।