348 ipc in hindi

348 IPC संस्वीकृति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध – जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा, की उस परिरुद्ध व्यक्ति से , या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से , कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी , जिससे किसी अपराध या अवचार का पता चल सके , उद्दापित की जाए , या वह परिरुद्ध व्यक्ति या उससे कोई हितबद्ध व्यक्ति को मजबूर किया जाए की वह किसी सम्पत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को प्रत्यावर्तित करे या करवाए या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे या कोई ऐसी जानकारी दे जिससे किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को सदोष परिरोध मे एसलिए रखता है कि उस परिरुद्ध ( Confined ) व्यक्ति से या उसके हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संस्वीकर्ति (confession) उद्दापित की जाए या उसको विवश करके कोई संपत्ति उद्दापित (property extort) की जाए या किसी अवेध कार्य को करने के लिए मजबूर किया जाए या कोई ऐसी जानकारी ली जाए जिससे वह कोई अपराध को आसानी से कर सके तो ऐसा करने वाला व्यक्ति 348 आईपीसी का अपराध करता है !

टिप्पणी

संस्वीकृति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परीरोध इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है । इसके अनुसार , जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा की उस परिरुद्ध व्यक्ति से यस उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से , कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी , जिससे किसी अवचार या अपराध का पता चल सके , उद्दापित की जाए , या वह परिरुद्ध व्यक्ति या उससे हितबद्ध कोई व्यक्ति मजबूर किया जाए की वह किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति को प्रत्यावर्तित करे या करवाए , या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे , या कोई ऐसी जानकारी दे , जिससे किसी सम्पत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके , वह तीन वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

इस धारा के अंतर्गत यह साबित होना आवश्यक है की अभियुक्त ने किसी व्यक्ति का सदोष पसरीरोध किया , ऐसा करने में उसका प्रयोजन उस परिरुद्ध व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी उद्दापित करना होना चाहिए जिससे किसी अपराध या अवचार का पता चल सके । यदि ऐसा न हो तो उसका प्रयोजन उस परिरुद्ध या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को मजबूर किया जाए की वह कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति को प्रत्यावर्तित करे या करवाए , या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे , या कोई ऐसी जानकारी दे जिससे किसी मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके । इस धारा को धारा 330 के साथ पढ़ा जाना चाहिए ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , जमानतीय और आशमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

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