342 ipc in hindi

342 आईपीसी सदोष परिरोध के लिए दंड – जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।

Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: सदोष परिरोध का मतलब अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को किसी निश्चित स्थान की परिसीमा मे रोक दे या किसी खास स्थान से बाहर जाने से रोकदे जिससे वह व्यक्ति कही जा न सके तो ऐसा करने वाला व्यक्ति उस व्यक्ति सदोष परिरोध मे रखता है यह कहा जाएगा ! उदाहरण दखे !

                                                                                                                     दृष्टांत

  • य को दीवार से घिरे हुए स्थान में प्रवेश कराकर क उसमे ताल लागा देता है । इस प्रकार य दीवार की परिसीमा से परे किसी भी दिशा में नहीं जा सकता । क ने य का सदोष परिरोध किया है ।
  • क एक भवन के बाहर आने के द्वारों पर बंदूकधारी मनुष्यों को बेठा देता है और य से कह देता है की यदि य भवन से बाहर जाने का प्रयत्न करेगा तो वे य को गोली मार देंगे । क ने य का सदोष परिरोध किया है ।

टिप्पणी

धारा 340 में परिभाषित सदोष परिरोध के अपराध को यह धारा दंडित करती है । इसके अनुसार , जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करेगा वह एक वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से , या एक हजार रुपये तक के जुर्माने से , या दोनों से , दंडित किया जाएगा । सदोष परिरोध का अपराध सदोष अवरोध के अपराध से अधिक गम्भीर है , यह इस बात से स्पष्ट है की इसके लिए अधिक एव कठिन कारावास एव अधिक जुर्माने की व्यवस्था की गई है ।

डकेती का अपराध कारित किए जाने के दौरान सदोष परिरोध का कारित किया जाना यह साबित करता है की दो अलग-अलग अपराध कारित किए गए है जिनके लिए अलग-अलग दंडादेश दिया जा सकता है ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , अजमानतीय और शमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

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