336 ipc in hindi

336 आईपीसी कार्य जिससे दूसरों का जीवन व्यक्तिक क्षेम संकटापन्न हो- जो कोई इतने उतावलेपन या उपेक्षा से कोई कार्य करेगा कि , उससे मानव जीवन या दूसरों के व्यक्तिक क्षेम संकटापन्न होता हो , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , जो 250/- रुपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।

Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: अगर कोई व्यक्ति उतावपलेपन या उपेक्षा (rashly or negligently) से ऐसा कोई ऐसा कार्य करता है जिससे किसी व्यक्ति के जीवन को संकट या व्यक्तिगत क्षेम (personal safety)उत्पन्न हो जाए तो ऐसा कार्य धारा 336 आईपीसी के अंतर्गत दंडनीय अपराध करता है !

टिप्पणी

कार्य जिससे दूसरों का जीवन या व्यक्तिक क्षेम संकटापन्न हो इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार , जो कोई इतने उतावलेपन या उपेक्षा से कोई कार्य करेगा की उससे मानव जीवन या दूसरों का व्यक्तिक क्षेम संकटापन्न होता हो , वह तीन मास तक के सादा या कठिन कारावास से , या ढाई सों रुपये तक के जुर्माने से , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।

इस धारा के अंतर्गत अभियुक्त के द्वारा उतावलेपन या उपेक्षा से कोई कार्य किया जाना चाहिए और ऐसे कार्य से मानव जीवन या दुसरो का व्यक्तिक क्षेम संकटापन्न होना चाहिए । उतावलेपन या उपेक्षा का क्या अर्थ है इस बात की विस्तृत चर्चा धारा 304-क के अंतर्गत की जा चुकी है । इस धारा को धाराओ 337 और 338 के साथ पढ़ा जाना चाहिए जो तब लागू होते है तब धारा 336 के समान परिस्थितियों में क्रमश: उपहति और घोर उपहति कारित की जाती है । कोई कार्य जब उतावलेपन या उपेक्षा से किया जाता है तो स्वत: ही अपराधी का कोई आशय नाही रहता , दूसरे शब्दों में आशयित कार्यों में उतावलेपन या उपेक्षा नहीं होगी ।

जहां मंदिर के पुजारी अभियुक्त ने रात्रि में बाहर जाकर मंदिर के ऊपर इसलिए पत्थर फेंके ताकि लोग यह समझेंगे की मुसलमानों ने ऐसा किया और ऐसे में सांप्रदायिकता झगड़े प्रारंभ हो जाएंगे , यह अभिनिर्धारित किया गया की चूंकि पुजारी का कार्य जानबूझकर किया गया कार्य था इसलिए यह धारा लागू नहीं होगी ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , जमानतीय और आशमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

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