334 ipc in hindi
334 आईपीसी प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति कारित करना – जो कोई गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति कारित करेगा , यदि न तो उसका आशय उस व्यक्ति से भिन्न , जिसने प्रकोपन दिया था , किसी व्यक्ति को उपहति कारित करने का हो और न वह अपने द्वारा ऐसी उपहति कारित किया जाना संभाव्य जानता हो , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी , या जुर्माने से , जो पाँच सों रुपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दंडित किया जाएगा ।
Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: यह धारा यह बताती है कि जेसे अगर कोई A व्यक्ति है जो किसी B व्यक्ति को गम्भीर और अचानक प्रकोपन (provocation) से चिड़ाता है या भड़कता (provoke) करता है जिससे, वो B व्यक्ति चीड़ जाता है और गुस्से मे आकर वो A को चोट (simple hurt) पहुंचाता है जबकि B का आशय A के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति को चोट पहुचाने का नही है और न ही उसको पता था कि वो A को कोई ऐसी चोट पहुंचाएगा परंतु A के द्वारा अचानक और गम्भीर प्रकोपन पर B , A को साधारण (simple) पहुंचाता है तो धारा 334 आईपीसी के तहत B को दोषसिद्ध किया जाएगा !
टिप्पणी
गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति कारित करना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है । इसके अनुसार , गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा , यदि उसका आशय प्रकोपन देने वाले व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति की उपहति कारित करना न हो और वह अपने द्वारा ऐसी उपहति कारित किए जाने की संभावना को नहीं जानता हो , वह एक मास तक के सादा या कठिन कारावास से , या पाँच सों रुपये तक के जुर्माने से या दोनों से , दंडित किया जाएगा । यह उपबंध संहिता की धाराओ 323 और 324 के संबंध में घंटे हुए दायित्व का उपबंध है । यह धारा संहिता की धाराओ 323 और 324 के अपवाद के रूप में रखी गई है । इसे पढ़ते समय धारा 300 के अपवाद 1 का ध्यान भी रखा जाना चाहिए । धारा 300 के अंतर्गत यह साबित किया जाना आवश्यक है की अभियुक्त ने गम्भीर और अचानक प्रकोपन में उपहति कारित की , और न तो उसका आशय प्रकोपन देने वाले व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति की उपहति कारित करना था और न ही उसे इस बात का ज्ञान था की उसके द्वारा प्रकोपन देने वाले से भिन्न किसी व्यक्ति की उपहति कारित होने की संभावना थी । प्रकोपन गम्भीर और अचानक था अथवा नहीं यह हर मामलों के तथ्यों और परिस्थितियो पर निर्भर करता है । धारा 335 के साथ जोड़े गए स्पष्टीकरण के अनुसार यह धारा भी उन्हे पुस्तकों के अध्यधीन है जिनके अध्यधीन धारा 300 का अपवाद 1 है , और जिन पर धारा 300 के अंतर्गत टिप्पणी में विस्तृत चर्चा की जा चुकी है ।
धारा 334 के अधीन अपराध असंज्ञेय जमानतीय और शमनीय है , और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।