326 ipc in hindi

326 आईपीसी खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना- उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 335 में उपबंध है , जो कोई असन , वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा , जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए , तो उससे मृत्यु कारित होना संभाव्य है , या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा , या किसी विष या किसी संक्षारक पदार्थ द्वारा , या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा , या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा जिसके स्वास में जाने या निगलना मानव शरीर के लिए हानिकारक है , या किसी जीवजंतु द्वारा  स्वेच्छया  घोर उपहति कारित करेगा , वह आजीवन कारावास से , या दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words : जो कोई खतरनाक आयुधो या साधनों का प्रयोग इस आशय और ज्ञान के साथ करता है ,जिससे किसी को घोर उपहति कारित करे या वह यह जनता हो कि उसका ऐसा कार्य संभाव्य ही घोर उपहति कारित कर देगा तो उसका यह कार्य धारा 326 मे वर्णित धारा का अपराध करता है! इसमें एस्तेमाल किया गया हथियार या साधन ऐसा होता है जिससे किसी की जान भी जा सकने की संभावना होती है!

खतरनाक आयुधों या साधनों के द्वारा  स्वेच्छया  घोर उपहति [Grievous Hurt] के लिए निम्न चोटों मे से कोई चोट होना आवश्यक है तभी घोर उपहति माना जाएगा -;

1 पुंसत्वहरण [Emasculation] (परूष शक्ति को समाप्त कर देना)

2 दोनों मे से किसी भी नेत्र की दृष्टी का स्थायी विच्छेद (permanent)

3 दोनों मे से किसी भी कान की श्रवण शक्ति का स्थायी विच्छेद (permanent)

4 किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद (privation of joint)

5 किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थायी हानि [permanent Impairing]

6 सिर या चेहरे का स्थायी विदरूपीकरण [Disfiguration]

7 अस्थि या दांत का भंग या विसंधान (dislocation of bone or tooth)

8 कोई उपहति जी जीवन को संकटापन्न करती है या जिसके कारण उपहत [hurt] व्यक्ति बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा मे रहता है या मामूली कामकाज को करने मे असमर्थ रहता है !

टिप्पणी

खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा  स्वेच्छया  घोर उपहति कारित करने के गंभीर अपराध को यह धारा दंडित करती है । इसके अनुसार , धारा 335 में उपबंधित दशा के सिवाय जो कोई असन , वेधन या काटने के उपकरण द्वारा , या किसी ऐसे उपकरण द्वारा , जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए तो उससे मृत्यु कारित होने की संभावना है , या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा , या किसी विष या किसी संक्षारक पदार्थ द्वारा , या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा , या किसी पदार्थ द्वारा जिसका स्वास में जाना या निगलना या रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है , या किसी जीव जन्तु द्वारा  स्वेच्छया  घोर उपहति कारित करेगा , वह आजीवन कारावास से , या दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से , दंडित किया जाएगा और जुर्माने सए  भी दंडनीय होगा । पूर्वर्ती धारा की तरह यह धारा भी 335 को , जो गंभीर और अचानक प्रकोपन में  स्वेच्छया  घोर उपहति कारित करने से  संबंधित है ।

जहां अभियुक्त ने मृतक पर पत्थर फेंककर हमला किया , और एक पत्थर उसके सी पर लगा जिससे उसकी मृत्यु हो गई , तो उसे इस धारा के अधीन दोष सिद्ध किया गया । जहां तीन व्यक्तियों ने मृतक पर चाकुओ से हमला कर दिया और एक साधारण और एक प्राणहर क्षति कारित की गई , पर ना तो मृत्यु कारित का सामान्य आशय ही साबित हुआ और ना ही यह साबित हुआ कि उन तीन व्यक्तियों में से किसने यह प्राणहर क्षति कारित की थी , यह अभिनिर्धारित किया की अपीलार्थी ने सामान्य आशय को अग्रसर करते हुए धारा 326 के अधीन अपराध कारित किया था , क्यूंकी निचले न्यायालय ने भी यह अभिनिर्धारित किया था की घोर उपहति कारित करने का सामान्य आशय विध्यमान था ।

बी. आर. पटेल बनाम राज्य में घटना अचानक झगड़े से प्रारंभ हुई । एक अभियुक्त ने प्राणहर क्षति कारित की जबकि दूसरे ने क्षति । यह अभिनिर्धारित किया गया की दूसरे अभियुक्त को पहले के साथ धारा 34 के साथ धारा 302 के अधीन दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता और वह केवल धारा 326 के अधीन दोषी है ।

[326-a अम्ल(Acid), आदि का प्रयोग करके स्वेच्छया घोर उपहती कारित करना – जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों को उस व्यक्ति पर अम्ल फेंककर या उसे अम्ल दे कर या किन्हीं अन्य साधनों का , ऐसा कारित करने के आशय या ज्ञान से की यह संभाव्य है की वह ऐसी क्षति या उपहती कारित करे , प्रयोग करके स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करता है या अंगविकार करता है या जलाता है या विकलांग बनाता है या विद्रूपित करता है या नि:शक्त बनाता है या घोर उपहती कारित करता है , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा :

परंतु ऐसा जुर्माना पीड़ित के उपचार के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा :

परंतु यह और की इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़ित को संदत्त किया जाएगा ।]

Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words : अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर अम्ल फेक कर या पिलाकर या अम्ल जेसे किसी अन्य साधन से किसी व्यक्ति को साधारण चोट पहुंचाए या गंभीर चोट पहुंचाता है तो इस धारा मे दोषी होगा !

टिप्पणी

आजकल अम्ल द्वारा आक्रमण करने की , विशेषकर लड़कियों पर घटनाये काफी होने लगी है जिन पर नियंत्रण करने के आशय से धारायें 326-क और 326-ख अधिनियमित की गई हैं । दोनों में ही न्यूनतम आदेशात्मक दंड की व्यवस्था है ।

अम्ल आदि का प्रयोग करके स्वेच्छया घोर उपहती कारित करने से संबंधित इस धारा के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों को उस व्यक्ति पर अम्ल फेंककर या उसे अम्ल देकर या किन्हीं अन्य साधनों का , ऐसा कारित करने के आशय या ज्ञान से की यह संभाव्य है की वह ऐसी क्षति या उपहती कारित करेगा , प्रयोग करके स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करता है या अंगविकार करता है या जलाता है या विकलांग बनाता है या विद्रूपित करता है या नि:शक्त बनाता है या घोर उपहती कारित करता है , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास के हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । ऐसा जुर्माना पीड़ित के उपचार के चिकित्सीय खर्चों के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा और यह पीड़ित को संदत्त किया जाएगा । विनिर्दिष्ट आशय या ज्ञान सिद्ध होना आवश्यक है , अन्यथा अभियुक्त दोषी नहीं होगा ।

मकबूल बनाम उत्तरप्रदेश राज्य और अन्य में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया की संहिता की धारा 326-क अथवा धारा 326-ख के लागू होने में क्षति की गंभीरता महत्वपूर्ण नहीं होगी । इन धाराओं के अधीन साधारण क्षति भी आती है । इन दोनों धाराओं के बीच मुख्य अंतर यह है की धारा 326-क  के अधीन साधारण क्षति की उपस्थिति अनिवार्य है , और इनमे अधिक दंड की व्यवस्था है । धारा 326-ख के अधीन क्षति की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है , अम्ल फेंकन या फेंकने का प्रयत्न करना या अम्ल देना या देने का प्रयत्न करना ही पर्याप्त है , और इसमें धारा 326-क की तुलना में कम दंड की व्यवस्था है ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय और अजमानतीय है और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।

[326-b स्वेच्छया अम्ल फेंकना या फेंकने का प्रयत्न करना – जो कोई, किसी व्यक्ति को स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या नि:शक्त बनाने या घोर उपहती कारित करने के आशय से उस व्यक्ति पर अम्ल फेंकता है या फेंकने का प्रयत्न करता है या किसी व्यक्ति को अम्ल देता है या अम्ल देने का प्रयत्न करता है , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पाँच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सांत वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

स्पष्टीकरण 1- धारा 326-क और इस धारा के प्रयोजन के लिए “अम्ल” में कोई ऐसा पदार्थ सम्मिलित है जो ऐसे अम्लीय या संक्षारक स्वरूप या ज्वलन प्रकृति का है , जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है , जिससे क्षतचिह्न बन जाते है या विद्रूपता या अस्थायी या स्थायी नि:शक्तता हो जाती है ।

स्पष्टीकरण 2- धारा 326-क और इस धारा के प्रयोजनो के लिए स्थायी या आंशिक नुकसान या अंगविकार का अपरिवर्तनीय होना आवश्यक नहीं होगा । ]

Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words : अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर अम्ल फेकता है या फेकने का प्रयत्न करता है या पिलाता है या पिलाने का प्रयत्न करता है  जिससे वह किसी को साधारण चोट पहुंचाए या गंभीर चोट पहुंचा सके तो इस धारा मे दोषी होगा !कोर्ट दोनों ही दोनों ही धारा मे सजा देता है एसलिए कन्फ्यूज़ न हो और ये दोनों धारा लगती है अगर ऐक्ट हुआ है !

टिप्पणी

स्वेच्छया अम्ल फेकने या फेंकने का प्रयत्न करने के संबंध में इया धारा के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति को स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या नि:शक्त बनाने या घोर उपहती कारित करने के आशय से उस व्यक्ति पर अम्ल फेंकता है या फेंकने का प्रयत्न करता है या किसी व्यक्ति को अम्ल देता है या अम्ल देने का प्रयत्न करता है , वह न्यूनतम पाँच वर्ष और अधिकतम सात वर्ष के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । विनिर्दिष्ट आशय सिद्ध करना इस धारा के अधीन आवश्यक है , अन्यथा अभियुक्त दोषी नहीं होगा ।

धाराओ 326-क और 326-ख के लिए दो स्पष्टीकरण भी दिए गए है । पहले स्पष्टीकरण के अनुसार अम्ल में ऐसा पदार्थ भी सम्मिलित है जो ऐसे अम्लीय या संक्षारक स्वरूप या ज्वलन प्रकृति है जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है जिससे क्षतिचिह्न बन जाते है या विद्रूपित या स्थायी या अस्थायी नि:शक्तता होती हो । दूसरे स्पष्टीकरण के अनुसार यह आवश्यक नहीं है की स्थायी या आंशिक नुकसान या अंगविकार अपरिवर्तनीय हो ।

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय और अजमानतीय है और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।

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