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1.पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के संस्थापक बाबा रामदेव व्यक्तिगत रूप से मंगलवार 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट मे पेश हुये और कोर्ट को दिए गए वचन का उल्लंघन करते हुए ब्राह्म विज्ञापन प्रकाशित करने और एलोपैथिक दावों के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकिशन ने भी व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट से माफी मांगी पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोगी ने कोर्ट से कहा कि वह अपराध दिखाने के लिए सार्वजनिक माफी मांगने को भी तैयार है न्यायमूर्ति हिमाकोली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ब्राह्मक विज्ञापन के मामले में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड आचार्य बालकिशन और बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई कर रही थी आज की सुनवाई में पीठ ने व्यक्तिगत रूप से रामदेव और बालकिशन से बातचीत की और पूछा कि उन्होंने अदालत को दिए गए वचन का उल्लंघन करके क्यों काम किया रामदेव ने जस्टिस हिमकोली के सवालों के जवाब में कहा हमने जो किया वह हमें समय पर नहीं कहना चाहिए हम आगे याद रखेंगे वह उत्साह में ऐसा हो गया आगे से ऐसा हम नहीं करेंगे ।
2. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 16 अप्रैल को वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपीएटी रिकॉर्ड के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM के पूर्ण सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की 2 घंटे से अधिक समय तक मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ में मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को पोस्ट कर दिया विशेष रूप से लोकसभा चुनाव का पहला चरण अगले दिन 19 अप्रैल से शुरू हो रहा है याचिका कर्ताओं को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा आमतौर पर मानवीय हस्तक्षेप समस्या पैदा करता है फिर पूर्वाग्रह सहित मानवीय कमजोरी के बारे में सवाल उठेंगे मशीन आमतौर पर बिना किसी गलती के या गलत मानवीय हस्तक्षेप के ठीक से काम करेगा सटीक परिणाम देगा हां समस्या तब उत्पन्न होती है अनादिकृत परिवर्तन करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप होता है यदि आप उस पर बहस करना चाहते हैं तो करें ।
3.सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 16 अप्रैल को उन राज्यों को विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिन्होंने मोब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि के संबंध में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन यानी NFIW द्वारा दायर जनहित याचिका यानी पीआईएल पर अभी तक जनहित याचिका में उल्लेखित मोब लिंचिंग की घटनाओं के संबंध में उनके द्वारा उठाए गए कदम के बारे में जवाब नहीं दिया है याचिका करता ने सभी राज्यों को प्रतिवादी के रूप में जोड़ा है जिनमें से केवल मध्य प्रदेश और हरियाणा ने अपनी प्रतिक्रिया दाखिल की है निजाम पाशा NFIW के लिए पेश हुए और उन्होंने अपने तर्क मध्य प्रदेश और हरियाणा राज्यों द्वारा प्रस्तुत हलफनामो के आधार पर केंद्रित किये उनका प्रमुख तर्क इस तत्व के इर्द-गिर्द घूमता है कि कैसे भीड़ द्वारा हत्या या हिंसा की घटनाओं को तहसील पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों को खत्म करने के लिए सामान्य दुर्घटना या लड़ाई का रंग दिया गय
4. दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1989 में स्थापित मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन यानी MEAF को भंग करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने डॉक्टर सैयदा सैयद और हामिद जॉन दयाल और दया सिंह द्वारा डायर जनहित याचिका यानी PIL को खारिज कर दि ।
5 . सोमवार को 2021 IT संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं में याचिका कर्ताओं ने मुंबई हाई कोर्ट को बताया कि सरकारी तथ्य जांच इकाई यानी FACT CHECK UNIT या FCU उद्देश्य जनता को गलत सूचना से बचाना नहीं है बल्कि किसी भी चीज पर कुल राज्य सेंसरशिप लाना है जो सरकार नहीं करती है और चाहती है कि लोग ना जाने ना चर्चा करें ना बहस करें या सवाल ना उठाये टाइप ब्रेकर न्यायाधीश न्यायमूर्ति CJI सूचना प्रौद्योगिकी मध्यवर्ती दिशा निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम 2021 के नियम तीन क्लास एक B V को चुनौती देने वाले हास्य अभिनेता कुणाल कामरा और अन्य द्वारा दायर याचिका ओ पर सुनवाई कर रहे थे
6. यह देखते हुए की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के नियम विश्वविद्यालय पर बाध्यकारी हैं सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 15 अप्रैल को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में उन शिक्षकों को स्थाई अधिकार या आधार पर बहाल करने का निर्देश दिया जिन्हें नियमितीकरण से वंचित कर दिया गया था यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालय को लिखे पत्र के बाद विश्वविद्यालय ने उन शिक्षकों को नियमित करने का निर्देश दिया जो नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए थे और आवश्यक योग्यता रखते थे
7. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 15 अप्रैल को कई राज्यों में जिला न्यायपालिका में नियुक्ति से विकलांग व्यक्तियों को बाहर करने का मुद्दा उठाने वाली एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया याचिका करता का तर्क है की कई राज्यों ने न्यायिक सेवा नियम विकलांग व्यक्तियों के आधार और अधिकार नियम 2016 के तहत PWD यानी पीपल व डिसेबिलिटी विकलांग व्यक्तियों का कोटा प्रदान नहीं किया CJI DY ( Justice Dhananjaya Y.Chandrachud, ) पीठ जिसमें जस्टिस जीवी परजीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे और इस मुद्दे पर विचार करने पर सहमत हुए
8 . सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को गुजरात की दो प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसने उनके मौतकिल के वकालत नामें मे कथित कदाचार के लिए उनके खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए जांच के आदेश को चुनौती दी गई थी इस मामले पर जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने विचार किया और याचिका कर्ता वो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोगी और यतिन ओझा पेश हुए याचिका करता हूं नहीं यह कहते हुए आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी कि इस तरह का निर्देश क्रमशः अनुच्छेद 21 और 19 क्लोज़ 1g के तहत उनकी प्रतिष्ठा गरिमा और अपने पेशे को जारी रखने के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है
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