105 IPC In Hindi

धारा 105 IPC संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना – संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है जब संपत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है!
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार चोरी के विरुद्ध अपराधी के संपत्ति सहित पहुंच से बाहर हो जाने तक अथवा या तो लोक प्राधिकारियों की सहायता अभीप्राप्त कर लेने या संपत्ति प्रत्युद्धत हो जाने तक बना रहता है!
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार लूट के विरुद्ध तब तक बना रहता है जब तक अपराधी किसी व्यक्ति की मृत्यु या उपहति या सदोष अवरोध कारित रहता या कारित करने का प्रयत्न करता रहता है अथवा जब तक तत्काल मृत्यु का या तत्काल उपहति का या तत्काल व्यक्तिक अवरोध का भय बना रहता है!
संपत्ति की प्राइवेट परीक्षा का अधिकार आपराधिक अतिचार या रिष्टी के विरुद्ध तब तक बना रहता है जब तक अपराधी आपराधिक अतिचार या रिष्टी करता रहता है
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार रात्रो-गृह-भेदन के विरुद्ध तब तक बना रहता है जब तक ऐसे गृह-भेदन से आरंभ हुआ गृह-अतिचार होता रहता है!

टिप्पणी

जबकि संहिता की धारा 102 अनन्य रूप से शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के प्रारंभ और उसके बने रहने से संबंधित है यह धारा संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रारंभ और उसके बने रहने से संबंधित है, इस धारा के पहले पैरा के अनुसार संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है जिस क्षण संपत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है! इस प्रतिरक्षा के प्रारंभ होने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि पहले संपत्ति संबंधी अपराध या उसका प्रयत्न होना आवश्यक है यह अधिकार उसी क्षण निहित हो जाता है जिस क्षण संपत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है यह पैरा केवल इस प्रतिरक्षा के प्रारंभ होने के प्रश्न तक सीमित है उसके बने रहने तक नहीं! इस धारा में इसी इस पैरा के पश्चात शेष पैरा अनन्य रूप से इस अधिकार के बने रहने तक की अवधि के बारे में बतलाती है और विभिन्न अपराधों के लिए भिन्न-भिन्न मापदंड बतलाए गए हैं!

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