दोस्तो पुलिस के बारे में आप क्या सोचते हैं
कमेंट करके अपनी राय जरूर दें। क्योंकि आज का जो टॉपिक है वह इसी बिंदु पर है कि क्या पुलिस को किसी व्यक्ति के साथ मारपीट करने का अधिकार है और अधिकार है तो कब है? क्योंकि लोग तो समझते हैं कि वर्दी वाला है तो उसको मारने का अधिकार होगा .
कानून क्या कहता है, पुलिस वाले की क्या ड्यूटी है. आपके क्या अधिकार हैं आपको पता ही नहीं है। तो आप यह सोच लेते हैं कि वर्दी वाला है।
हमने यूट्यूब पर फेसबुक पर वीडियो देखे हैं। • चिल्लाते नजर आते हैं तो कुछ पुलिस वाले । उनको खुद को भी नहीं पता होगा मारपीट करने का अधिकार है भी या नही ओर अधिकार है तो कब है !
जो हमारे साथ मारपीट करे पुलिस लेकिन फिर भी हमारे मन में है क्या नहीं मार सकता है मारने का अधिकार होगा। तो इसी बिंदु को में समझाने की कोशिश करूंगा। तो • पोस्ट अगर आपको पसंद आए तो लाइक जरूर कर दिया करें। पोस्ट को और कोई नया विवाद है हमारे चैनल पर तो सब्सक्राइब करके जुड़ सकता है क्योंकि रेगुलर रोजमर्रा जिंदगी में जो समस्या आती है कानून को लेकर के उन्हीं टॉपिक पर मैं पोस्ट अपलोड करता हूं आपके लिए।
क्या आप उन सिचुएशन से डील करना सीख जाएं बहुत सिंपल भाषा के अंदर।٠٠ – तो दोस्तों सबसे पहले में शुरू करता हूं एक अपराधी से – कि अगर कोई अपराधी है क्योंकि पुलिस उस अपराधी के साथ भी पुलिस को मारपीट करने का अधिकार नहीं है
सिर्फ तीन कंडीशन में आपके साथ मारपीट कर सकती है। पहली कंडीशन कि आप एक अपराधी हैं जो विरोध कर रहे हैं पुलिस का अपनी गिरफ्तारी से पुलिस गिरफ्तार करना एक अपराधी को विरोध कर रहा है। बल का प्रयोग कर रहा है तो फिर यहां पर पुलिस के पास जो भी साधन है हथकड़ी, लाठी एवरीथिंग। अगर आप ऐसे अपराधियों जो कुख्यात
है जैसे कि विकास दुबे था तो अगर भागते हो तो गोली चला कर के पकड़ने का भी अधिकार है। जैसे कि विकास – दुबे को एनकाउंटर में मार दिया था, पुलिस वाले कैटेगरी में नहीं आते। सिचुएशन दूसरी चीज कि आप हिंसक प्रदर्शन कर रहे हो। पहली अगर आप पीसफुल प्रदर्शन कर रहे हो तो पुलिस वाला आपको नहीं मार सकता। पीसफुल प्रदर्शन का आपको
राइट है, लेकिन आप ऐसी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं जो कि गवर्नमेंट की संपत्ति या किसी की निजी संपत्ति है। तो आप हिंसा कर रहे हो। अगर आप हिंसक प्रदर्शन करोगे तो फिर आपके साथ मारपीट करेगी, लाठी चार्ज करेगी, पुलिस का लीगल राइट हो जाता है, ड्यूटी हो जाती है या फिर आप पुलिस वाले पर अटैक कर रहे हो। जब पुलिस वाले पर अटैक करेगा तो पुलिस को राइट टू प्राइवेट डिफेंस ही
• तो बचाव करेगा। अपना- तो ये तीन कंडीशन है। इनके अलावा पुलिस आपके साथ मारपीट कर नहीं सकती. ये तो आपकी बात होगी और अपराधी की बात भी यही है भी ऐसा करता है ना उस अपराधी के साथ भी पुलिस मारपीट नहीं कर सकती नहीं है। लेकिन अगर पुलिस मारपीट करती है तो क्या होता कि अगर कोई अपराधी ये हमें पता
है। कुछ लोग कहते हैं पुलिस मारपीट तो करती है कुछ नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट यशवंत कुमार वर्सेज स्टेट ऑफ महाराष्ट्र का पर शक के आधार पर लेकर जाती है। उठाकर के जिसमें एक करती है। उसकी पनी के सामने मारती पुलिस वाले एक्यूड को पुलिस संदेह के आधार और उसके घर पर चांटे लगाती है, मारपीट और फिर धाने पर
ले जाकर मारपीट करते हैं। उसके साथ ऐसी जगह उसको बंद करते हैं जहां से उसका दम घुट जाता है। वह मर जाता है लेकिन वो मौत दम घुटने से होती है, उसकी मारपीट से नहीं होती है। जो पुलिस ने ऑफेंस किया उसके लिए तो नीचे वाले क्यों मारा। मारपीट करने का अधिकार है तुम्हें। आप जुर्म कबूल करवाने के लिए उस व्यक्ति के साथ मारपीट कर रहे थे।
– इसलिए 330 आईपीसी के तहत उन पुलिस कर्मियों को जिन लोगों ने उसके साथ मारपीट की थी, दंडित किया। • सुप्रीम कोर्ट तक गए। यह चैलेंज करते हुए पुलिसकर्मी सात साल तक की सजा से दंडित किया। इन पुलिसकर्मियों को यशवंत कुमार वर्सेज स्टेट ऑफ महाराष्ट्र की जजमेंट की बात कर रहा अब आते हैं हम कि सर पुलिस तो हमारे साथ मिसबिहेव करती है.
– बदतमीजी करती है, गाली गलौज करती है। चाहिए। सबसे पहले तो हमें सुरक्षा, उसकी संपत्ति की रक्षा, उनकी डिग्निटी पुलिस की ड्यूटी है। उसके फंडामेंटल एक्चुअल में पुलिस की ड्यूटी क्या है, यह पता होना अपने नागरिक की सुरक्षा, उसके जीवन की राइट्स जो है ना उनको संरक्षण प्रदान करना
क्रो बनाए रखना ये पुलिस का काम है। क्या कोई पुलिसवाला ऐसा कर रहा है? क्यों नहीं कर रहा है? यह प्रश्न बन जाता है ड्यूटी क्या है। सकता। इसलिए नहीं कर रहा है क्योंकि हमें पता ही नहीं है कि पुलिस वाले की हमें पता ही नहीं है कि हमारे राइट्स क्या हैं। अरे यार, ये तो मेरे हाथ ही नहीं लगा मैं गाड़ी से जा रहा हूं। मैंने अगर हेलमेट नहीं पहना या मैंने बेल्ट नहीं लगा रखी
गाड़ी में से जबर्दस्ती निकाल रहा है, चाबी निकाल रहा है तो उसको राइट नहीं है, फाइन भर सकता है। केवल केवल उसके अलावा कुछ नहीं कर सकता। वो पकड़ कर ते जा रहा है, धाने ले जा रहा है। कौन से नहीं ले जा रहा और आप चाबी जो केवल फाइन उस कंडीशन में हम जबरदस्ती के अंदर कानून के तहत ले जा रहा है पता नहीं है। का है उसके अंदर भी आपके साथ इस तरीके की एक्टिविटी हो जाती है क्योंकि आप जानकार नहीं है इच्छा रखते हैं। इच्छा रखो जानने में चोर को कार्रवाई करने में रखो। अगर साथ पुलिसकर्मी बदतमीजी कर रहा है या अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है वासु वर्सेज स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल के जजमेंट के अंदर सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही और ना जानने में कोई व्यक्ति आपके तो भी डी।के। कि
आर्टिकल वन का उलंघन है कि अगर आप किसी व्यक्ति के साथ मिसबिहेव कर बदतमीजी कर रहे हो या उसकी कस्टडी में जान ले रहे हो, • उसके फिर आर्टिकल का क्या हुआ? कस्टडी में कैसे जान ले लिया आपने? आपको सम्मान से पेश आना है ऐसे व्यक्तियों के साथ लेकिन अवेयरनेस नहीं है इसलिए वो गाली बक लेते
हैं। ऑन रोड वीडियो रिकॉर्ड भी होते हैं। आपके पास पूफ भी होते हैं, उसके बावजूद आप कार्रवाई नहीं करते। एक्चुअल में आपके पास अधिकार है कार्रवाई करने का। सीधे तौर पर आप कोर्ट में जाकर के इस्तगासा भी कर सकते हो। डायरेक्ट आपको धाने पर नहीं जाना तो अगर मिसबिहेव किया तो 504 आईपीसी अगर धमकी दे गाली गलौज कर रहा है, तो गाली गलौज के साथ आपको धमकी दे रहा है
506 आईपीसी झूठे केस में अगर फंसाने की धमकी दे रहा है तो क्योंकि उसकी ड्यूटी है उससे विपरीत कार्य करता है। उसका आचरण ड्यूटी के दौरान जो तरीका उसको बताया गया जो करने का उस तरीके मां बहन की गाली बकना, गुस्सा करके आपके ऊपर अटैक करना आईपीसी • 166 आईपीसी इस तरीके का नहीं होना चाहिए। से उसको जॉब करनी है।
.. यह थोड़ी ड्यूटी का ढंग तो वो आईपीसी का ऑफेंस कर रहा है है पुलिस कर्मी के ऊपर। लेकिन हमें पता होना चाहिए अब आप सोचते हो आपको अपने राइट्स को बचाना है, आपको अपने लिए इंसाफ चाहिए आपसे। मैं कोई रुक्का चलाने की, मुक्का चलाने की नहीं तो इतनी धाराएं लग जाती कि कौन जाए। अगर तो फिर लड़ना तो पड़ेगा
बोल रहा है। कानूनी रूप से फाइट करनी है। बोल रहा हूं। एक कागज भी आप लिख करके दे देंगे एसपी को। उसके लिए उसको जवाब देना पड़ेगा। पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी को अगर ईमेल भी कर दोगे उसको भी जवाब देना पड़ेगा। विजिलेंस डिपार्टमेंट को ईमेल कर दोगे समस्या। उसको भी जवाब देना पड़ेगा। बल्कि वहां तो जाना पड़ेगा, बुलाया जाएगा। बताओ आपके खिलाफ शिकायत क्यों? संतोषजनक रीजन
देना पड़ेगा। उसको सेटिस्फेक्शन रीजन नहीं देता है तो कार्रवाई हो जाएगी। मामला सिंपल में भी जाकर कोर्ट में दर्ज करा दिया तो सीधे ही सस्पेंड होगा। वो अगर आपने जब तक ये साबित नहीं हो जाता या फिर लिमिटेड टाइम के लिए उसको सस्पेंड कर दिया जाता है। साबित हो गया तो टर्मिनेशन तय है। उसका
पर आपके साथ मारपीट कर उन्हें थप्पड़ मारा के मारा। ज्यादा मारपीट की। एम्जांपल आपने इसकी शिकायत दर्ज करा दी। गाली गलौज करी। जो भी उसने बिहेव किया ना जो मैंने सेक्शन बताया भी आपको तो आप कर सकते हैं। कोर्ट में अगर
आपने बात साबित कर दी। जिन लोगों के आसपास ये चीजें हुई थी उनको आप प्रोड्यूस कर सकते। अपनी खुद की गवाही दे सकते। एक्चुअल में ऐसा नहीं है कि विटनेस। सिंगल विटनेस व्यक्ति को। ऐसा नहीं है कि केवल कंप्लेंट खुद की गवाही पर भी विटनेस कोर्ट के अंदर में कहां से लाऊं। • कनविक्ट करा सकता है किसी आप चार छह गवाह लेकर के नहीं है। गवाह
में खुद गठाह इस बात का अगर मेरी ट्रस्ट वर्दी विटनेस है, मेरे को कोर्ट मेरे पर विश्वास कर रहा है। कोर्ट मेरी बातों पर। उसको लग रहा है कि एफआईआर के बयान कोर्ट में बयान दे रहा हूं। कॉन्फिडेंस और सारे फैक्ट इस तरीके के इंडिकेट कर रहे हैं। इशारा कर रहे हैं कि हां, इसके साथ वो घटना घटित हुई है तो कनविक्ट कर देगी। सिर्फ मेरे बयान पर कोर्ट
तो। कालिटी मैटर करती है, कांटिटी मेटर नहीं करती। और अगर कोई व्यक्ति पुलिसकर्मी आपको डरा धमकाकर जबरदस्ती कुछ लिखवा भी लेता है ना, तो उसकी कोई एविडेंस – वैल्यू नहीं है। कोर्ट उसको पड़ेगा ही नहीं। उसके आधार पर कोई फैसला नहीं लेगा कि सर, आपने तो जुर्म स्वीकार कर लिया था पुलिस के पास। डरा धमकाकर, लालच देकर के
– किसी भी कारण से उसने आपसे करवा लिया तो कोर्ट केसीडर नहीं करेगा। एविडेंस कहता है कि नहीं है। इस आधार पर कलेक्शन नहीं किया जाएगा कि अगर आप बना दिए गए किसी केस के अंदर तो बात समझ में आई क्या। बात समझ में आई है तो post को लाइक कर दो। शेयर करो ऐसे post देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब जरूर करना। थैंक यू।
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