क्या शादी के 3 साल बाद पत्नी पति पर नहीं कर सकती मुकदमा पति-पत्नी जरूर देखें इस पोस्ट को ?

दोस्तों जब देखा जाता है हस्बैंड और वाइफ के बीच विवाद होता है तो विवाद इस कदर बढ़ जाता है कि उन दोनों के बीच में यही रास्ता बचता है कि दोनों अलग हो जाए और झगड़कर के वाइफ चली जाती है मायके और वहां जाकर के रुक जाती है वापस से पति के पास नहीं आती है समय गुजरता रहता है 6 महीने साल भर दो साल तीन साल या 5 साल और अधिक से अधिक 10 साल हो जाते और उसके बाद यह समय गुजारने के बाद पत्नी के द्वारा पति के खिलाफ फिर दर्ज कराई जाती है महिला थाने में उसकी फैमिली मेंबर का भी नाम उसे फिर में लिखवाया जाता है पत्नी के द्वारा जब पति के मन में यह सवाल उत्पन्न होता है की यार मैं घटना आज की है अगर कोई एक्ट मैं आज किया है तो सामने वाले को आज ही जाना चाहिए या कल जाना चाहिए या कुछ समय बाद जाना चाहिए लेकिन यह किया इतना समय गुजर गया उसके बाद आज जाकर के वाइफ फिर दर्ज कर रही है और फिर दर्ज भी हो गई है तो फिर इसमें कोई लिमिटेशन है भी या नहीं क्या होगा अगर आपके साथ ऐसा हो जाए तो या मान लीजिए आपकी पत्नी ऐसा कर दे आपके साथ तो क्या होगा आपके साथ और क्या है हमारे पास कानूनी उपचार तो यानी इस पोस्ट में कि हम आगे क्या कर सकते हैं

एक पति क्या कर सकता है जिसकी पत्नी 3 साल बाद या 4 साल बाद फिर दर्ज कराती है या मान लीजिए 10 साल बाद फिर दर्ज कराई हो तो हमने क्राइटेरिया दे दिया है 3 साल बाद यानी 3 साल से नीचे का छोड़ दिया है 3 साल से ऊपर वाले जो पत्नी फिर दर्ज थाने में जाकर करती है तो वह पुलिस का काम है फिर दर्ज करना अगर उसको लगता है थोड़ा सा भी तो पुलिस मामले को शूट आउट करने का प्रयास करती है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार पत्नी की शिकायत को ले लेती है पति को बुला लेते हैं फिर पुलिस वाले पुलिस वाले दोनों का सेटलमेंट करने का प्रयास करती है अगर पुलिस वालों को थोड़ा सा भी नजर आता है कि हां मामला गंभीर है तो वह फिर दर्ज कर लेंगे या तो इंकार करेंगे या फिर फिर दर्ज करेंगे अगर पुलिस वाले फिर दर्ज नहीं करते हैं तो कोर्ट से फिर दर्ज करानी पड़ेगी 156 सीआरपीसी सब्सीट्यूशन के तहत कोर्ट में आवेदन करके परिवार पेश करके वहां से भी आप फिर दर्ज कर सकते हैं आपके विरुद्ध 3 साल बाद भी आपकी पत्नी इस तरीके से केस दर्ज कर सकती है अब दोस्तों जो कानून है 468 सीआरपीसी के अंदर यह बताया गया है कि 1 साल से जो 1 साल तक की सजा के मामले हैं 1 साल की सजा है कम से कम और 3 साल तक की सजा हो सकती है ऐसे मामलों के अंतर्गत जो कोर्ट है जो कंज्यूमर लेगी 3 साल तक के अंदर यानी 3 साल तक की जिसको दिक्कत हुई है वह कोर्ट में आ जाए अगर मामला 3 साल से ऊपर चला गया तो फिर कोर्ट काउंसिबल नहीं लगी यह कानून किराए है तो मतलब कांसेप्ट क्लियर हो गया है आपका कि अगर कोई वाइफ को दिक्कत है तो 3 साल तक का उसके पास टाइम है कि वह शिकायत दर्ज कर दे अगर मान लीजिए अपने आज आपके साथ कोई घटना घटित हो गई है तो आप 3 साल तक के अंदर उसे घटना की एफआईआर दर्ज कर सकते हैं कोर्ट में चाहे आप कोर्ट के माध्यम से कारण चाहे वह थाने के माध्यम से कारण आपके पास सिर्फ 3 साल तक का टाइम रहेगा अब दोस्तों यह तू ही एक बात लेकिन देखा जाता है कि किसी की पत्नी 3 साल बाद ही कैसे करती है 4 साल बाद भी केस करती है या फिर 10 साल बाद कैसे करती है और वही फोन 498 आईपीसी का कर रही है लेकिन फिर भी केस दर्ज हो रहा है और कोर्ट सुन भी रहा है और उसका मामला कोर्ट में चल भी रहा है इसका कारण में आपको बता दूं क्योंकि हस्बैंड वाइफ को यह तो पता है कि वह 3 साल बाद ही केस की है 5 साल बाद ही केस की है या 10 साल बाद ही केस की है लेकिन जो उसने शिकायत की है थाने पर या कोर्ट के माध्यम से उसमें जो एलिगेशन है विदीन इमिटेशन लगाए हैं उसने 3 साल तक के अंदर अंदर घटना हुई है वह उसने बताइए इस कारण से वह कैसे चलेगा ही किसके खिलाफ पति के खिलाफ इसलिए चलेगा क्योंकि उसने यह घटना 3 साल के बाद होना नहीं बताइए मतलब 3 साल पहले हुई मेरी घटना और अब मैं 3 साल बाद फिर दर्ज करने आई हूं ऐसा नहीं करके आई है वह वकील के माध्यम से करवा रही है और वकील लगा इमिटेशन वह लेटेस्ट घटना बताया 99% रिजल्ट आपके फेवर में ही होगा निश्चित है जो fair घटना बनाई गई है उसमें साबित करना मुश्किल है काफी मुश्किल होता है ऐसा नहीं है इंपॉसिबल तो कुछ भी नहीं है होने में लेकिन बहुत मुश्किल है कि झूठ को आप साबित कर दें लिमिटेशन में आकर के कोई घटना लेटेस्ट पता कर करके FIR दर्ज कर दी जाती है तो वह मामला दर्ज कराती है तो वह मेरिट पर वह डिसाइड होता है यानी जजमेंट ही होगा उसमें आप बरी हो जाएंगे यह होने वाला है तो कुल मिलाकर बात यह है 3 साल से बाद में अगर फिर दर्ज कर रही है पत्नी तो वकील ने इमिटेशन ले ली उसके अंदर ऐसी जो कि उसे 3 साल तक के दायरे में आ रही है फिर दर्ज होगी और कोर्ट में कैसे भी चलेगा लेकिन अगर 3 साल के ऊपर का मामला है तो कोर्ट से होता है हस्बैंड वाइफ आज विवाद हुआ विवाद होने के बाद पति या पत्नी ने कोई परिवार या पिटीशन फाइल कर दी या कोई शिकायत कंप्लेंट कोर्ट के अंदर कर दी अब उसमें यह चीज नजर आ रही है की पत्नी कब से या पत्नी कब से दोनों कब से अलग-अलग रह रहे हैं ऐसी कोई शिकायत है मान लीजिए पति ने कर दिया है डायवोर्स का केस क्योंकि जो सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है कमलेश बनाम शिल्पा कलर उसमें भी यही कंडीशन है कि उसमें पत्नी मायके चली जाती है पति कैसे करता है डाइवोर्स का और उसके बाद समय गुजरता है और तीन-चार साल बाद गुजरने के बाद पत्नी फोन 498 आईपीसी के तहत के दर्ज करती है जिसमें सुप्रीम कोर्ट कहती है यह तो प्रेशर बनाने के लिए कैसे किया गया है विदीन इमिटेशन नहीं है वह केसे माना सुप्रिम कोर्ट ने की लिमिटेंशन नही है क्योकिं उसके पति ने तलाक़ का केस फ़ाईल किया जिस में मेंशन किया कि वह कब से उसके साथ नहीं रह रही है और उसमें उसकी पति ने रिप्लाई भी फाइल किया जाहिर सी बात है वह कोई ना कोई डेट तो बात कर चलिए वह कोई ना कोई डेट तो बताई होगी कि वह कब से अलग रह रही है तो उसे दोनों की डेट मैच करने के बाद यह क्लियर हो गया कोर्ट की नजर में की यह काम से कम 3 साल तक बात कैसे किया गया अब वह 4 साल बाद कैसे किया हो या 10 साल बाद कैसे किया हो लेकिन कोर्ट की नजर में यह बात आ गई की 3 साल के बाद ही किया है तो चलने योग्य नहीं है अगर ऐसी कोई बात थी तो उसको तभी आना चाहिए था आपने छोड़ दिया मौका अब आपको अवसर नहीं देंगे तो कुल मिलाकर की बात यह है कि आपको बात समझ में भी आई होगी की एक पत्नी तीन साल के बाद कैसे नहीं कर सकती लीगली लेकिन अगर वह लेटेस्ट घटना बता करके कैस करती है तो वह कर सकती है यह दोनों बात आपको समझ में आई है तो आप मुझे कमेंट में बताएं

अगर आपको फिर भी इस केस में अधिक से अधिक लीगली एडवाइस चाहिए और वकील साहब से पर्सनली कॉल पर बात करनी है तो नीचे दिए गए नंबर पर कॉल करके अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं

मोबाइल नंबर 9982874867

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